नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने एक स्थानीय अदालत में कहा कि संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोप में गिरफ्तार ललित झा पूरे षड्यंत्र का सरगना है। वह तथा अन्य आरोपी देश में अराजकता फैलाना चाहते थे, ताकि वे सरकार को अपनी मांगें मनवाने के लिए मजबूर कर सकें।
बताया जा रहा है कि पुलिस 13 दिसंबर को हुई इस घटना का नाट्य रूपांतरण करने के लिए संसद से अनुमति मांग सकती है। यह घटना 2001 में संसद पर हुए हमले की बरसी पर हुई थी।
पश्चिम बंगाल के रहने वाले झा को कल रात गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को सात दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में दावा किया कि झा ने स्वीकार किया है कि संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने की साजिश रचने के लिए आरोपी कई बार एक-दूसरे से मिले थे।
पुलिस ने कहा कि इसके अलावा आरोपी से पूछताछ कर यह पता लगाने की आवश्यकता है कि क्या उसका किसी दुश्मन देश या आतंकवादी संगठन से कोई संबंध है।
जांच की दिशा के बारे में बात करते हुए पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे झा को राजस्थान ले जाएंगे ताकि उस स्थान का पता चल सके जहां उसने अपना फोन फेंका था और दूसरों के फोन जला दिए थे।
अधिकारी ने कहा, 'घटना के बाद वह राजस्थान भाग गया था, जहां वह दो दिन तक रहा और कल रात दिल्ली लौट आया।'
अधिकारी ने कहा कि मामले में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पुलिस के पास आरोपियों के मोबाइल फोन नहीं हैं, जिससे साजिश का पता लगाने और अधिक लोगों की संलिप्तता के बारे में जानकारी जुटाने में मदद मिल सके। पुलिस इस मामले में कैलाश और महेश से पूछताछ कर रही है। अब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, घटना के बाद झा राजस्थान के नागौर भाग गया। कुमावत और कैलाश ने वहां उसके रहने की व्यवस्था की। कुमावत और कैलाश चचेरे भाई हैं।
आरोपियों ने जिस तरह से साजिश रची थी और घटना से पहले रेकी करने के लिए कई बार दिल्ली का दौरा किया था, उससे पुलिस को इसमें विदेशी ताकत का हाथ होने का संदेह है। पुलिस उस व्यक्ति की भी तलाश कर रही है, जिसने केन को जूते में छिपाने में आरोपियों की मदद की थी।
अधिकारी से पूछा गया कि उन्होंने इस कृत्य को अंजाम क्यों दिया। इस पर उन्होंने कहा कि झा ने बताया है कि वे 'बेरोजगारी' से परेशान थे। (भाषा)