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संसद में सेंगोल को लेकर छिड़ा सियासी संग्राम, भाजपा और विपक्षी दलों में वाकयुद्ध

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नई दिल्ली , गुरुवार, 27 जून 2024 (21:42 IST)
समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के निकट ‘सेंगोल’ (राजदंड) के स्थान पर संविधान की प्रति रखने की मांग की जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष के दलों के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया। विपक्षी नेताओं ने सपा सांसद का समर्थन किया तो भाजपा ने इसे भारतीय और तमिल संस्कृति का अपमान करार दिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में चौधरी ने आग्रह किया कि सेंगोल को हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह राजशाही का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लेकिन जब हमें आज़ादी मिली, तो पुजारियों ने सुझाव दिया कि सत्ता हस्तांतरण का एक प्रतीक दिया जाना चाहिए। इसलिए एक ‘राजदंड’ तैयार किया गया। लॉर्ड माउंटबेटन ने इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू को हस्तांतरित कर दिया। लेकिन उन्हें अहसास हुआ कि इसका क्या मतलब था और फिर इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था। इसे संसद में रखने की क्या आवश्यकता थी?
 
चौधरी ने कहा कि राजदंड एक राजा के निर्णय लेने के तरीके का प्रतीक है। लोकतंत्र आने से पहले भारत में 500 से अधिक रजवाड़े थे। उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया गया और लोकतंत्र की स्थापना की गई। अब देश स्वतंत्र है। अगर राजा नहीं है तो कोई राजदंड नहीं होना चाहिए। इस बीच, भाजपा नेताओं ने उनकी इस मांग को अपमानजनक बताया।
 
उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि सपा के मन में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के प्रति कोई सम्मान नहीं है। योगी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ''समाजवादी पार्टी के मन में भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रति कोई सम्मान नहीं है।''
 
उन्होंने कहा कि सेंगोल पर उसके शीर्ष नेताओं की टिप्पणियां निंदनीय हैं। यह उनकी अज्ञानता को दर्शाती है। यह विशेष रूप से तमिल संस्कृति के प्रति इंडी गठबंधन की नफरत को भी दर्शाता है।''
 
योगी ने लिखा, ''सेंगोल भारत का गौरव है। यह सम्मान की बात है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे संसद में सर्वोच्च सम्मान दिया।''
 
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने समाजवादी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि सपा ने भारतीय और तमिल संस्कृति का अपमान किया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या द्रमुक और कांग्रेस चौधरी की टिप्पणी से सहमत हैं।
 
चौधरी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि ‘उन्हें ऐसा महसूस हुआ होगा, क्योंकि प्रधानमंत्री ने शपथ लेते समय सेंगोल के सामने सिर नहीं झुकाया था...।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘संविधान को वहां रखने में क्या समस्या है?’’
 
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने कहा कि जब पहली बार सेंगोल को संसद में लाया गया था तो कई सदस्यों ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा, ‘‘जब सेंगोल को स्थापित किया जा रहा था, तो हममें से अधिकतर ने कहा कि यह राजशाही का प्रतीक है। हमारे प्रधानमंत्री में एक राजा के लक्षण दिखे...।’’
 
झा ने संविधान की प्रति दिखाते हुए कहा, ‘‘इसकी एक प्रति अपने पास रखिए, देश इसी से चलेगा।’’
 
राजद सांसद मीसा भारती ने कहा, ‘‘हम लोकतंत्र में हैं। सेंगोल को एक संग्रहालय में रखा जा सकता है, जहां हर कोई इसे देख सके। जिसने भी इस विषय को उठाया है, हम उसका समर्थन करते हैं। चूंकि यह राजशाही का प्रतीक है, इसलिए इसे हटाया जाना चाहिए।’’ भाषा 
 

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