Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कश्मीर में प्रीपेड मोबाइल चलने पर सुरक्षाबलों की जान में जान आई!

हमें फॉलो करें कश्मीर में प्रीपेड मोबाइल चलने पर सुरक्षाबलों की जान में जान आई!

सुरेश एस डुग्गर

, सोमवार, 27 जनवरी 2020 (18:59 IST)
जम्मू। पिछले साल अगस्त महीने से कश्मीर में थम से गए आतंकवाद विरोधी अभियानों में अब फिर से नई जान आ गई है। ऐसा इसलिए संभव हो पाया है, क्योंकि सरकार ने कश्मीर में बंद पड़े 42 लाख प्री-पेड मोबाइल कनेक्शनों को चलाने की अनुमति पिछले हफ्ते प्रदान की थी।

इसे पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह भी मानते हैं कि प्री-पेड मोबाइल कनेक्शनों पर लगी पाबंदी का नतीजा सुरक्षाबलों को भी भुगतना पड़ा है जो आतंकियों के प्रति मिलने वाली सूचनाओं से वंचित हो रहे थे। अगर उनकी मानें तो पिछले 6 महीनों के दौरान होने वाली आतंकी वारदातें भी इसी कारण हुई थीं क्योंकि उनके गुप्तचर या फिर गांववासी संचारबंदी के कारण आतंकियों की मौजूदगी की समय पर सूचनाएं नहीं दे पाए थे।

दिलबाग सिंह का कहना है कि पिछले साल 5 अगस्त से मोबाइल सेवा बंद कर देने से घाटी में आतंकियों के खिलाफ अभियानों में काफी कमी आई। लोग जब अपने इलाकों में आतंकियों को देखते थे, तो वे समय पर पुलिस व सुरक्षाबलों को सूचित नहीं कर पाते थे।
webdunia

जब तक सूचना सुरक्षाबलों तक पहुंचती आतंकी वहां से फरार हो जाते, परंतु अब ये सेवा फिर से शुरू होने से सुरक्षाबलों को भी इसका लाभ मिलेगा। कश्मीर में अशांति फैला रहे आतंकियों का जल्द सफाया करने में यह सेवा सहायक साबित होगी। शांतिप्रिय घाटी के लोग इस सेवा के जरिए एक बार फिर सुरक्षाबलों से जुड़ चुके हैं। सुरक्षाबलों का सूचना तंत्र मजबूत हो गया है।

कश्मीर डिवीजन में करीब 42 लाख प्री-पेड मोबाइल हैं। 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर के बंटवारे के साथ ही संचारबंदी के कारण पोस्टपेड और प्री-पेड के साथ ही लैंड लाइन फोन भी बंद कर दिए गए थे। करीब 72 दिनों के बाद 14 अक्‍टूबर को पोस्ट पेड सेवाओं को तो चला दिया गया, लेकिन प्री-पेड मोबाइलों पर घंटी पिछले हफ्ते ही बज पाई है।

पोस्ट पेड कनेक्शनों को चलाने की अनुमति के साथ ही सरकार ने प्री-पेड कनेक्शनों को पोस्टपेड में बदलने पर भी पाबंदी लगा दी थी। दरअसल प्री-पेड मोबाइल कनेक्शनों को इतनी देर के बाद चलाने के पीछे प्रशासन की आशंका यह थी कि इनका इस्तेमाल आतंकियों द्वारा भी किया जाता रहा है।

सरकार की आशंका सही भी है, क्योंकि अतीत में हजारों प्री-पेड मोबाइल फोन आतंकियों से पकड़े जा चुके हैं, पर सच्चाई यह भी है, जिसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था कि इन्हीं प्री-पेड कनेक्शनों को सर्विलांस पर रखते हुए ही कई आतंकी नेताओं का सफाया करने में सुरक्षाबलों को कामयाबी हासिल हुई थी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

वैष्णोदेवी में अभी भी मंडरा रहा है श्रद्धालु्ओं पर खतरा