नई दिल्ली। नेहरू गांधी परिवार पर परोक्ष निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जाने के बरसों बाद तक राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को मिटाने के प्रयास किए जाते रहे लेकिन जिस ‘एक परिवार’ के लिए ये सब किया गया, उस परिवार से कहीं ज्यादा लोग आज बाबा साहेब से प्रभावित हैं।
बीआर अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा साहेब का राष्ट्र निर्माण में जो योगदान है, उस वजह से हम सभी उनके ऋणी हैं। हमारी सरकार का ये प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक उनके विचार पहुंचें। विशेषकर युवा पीढ़ी उनके बारे में जाने, उनका अध्ययन करें।
मोदी ने कहा कि बाबा साहेब में अद्भुत शक्ति थी। उनके जाने के बाद बरसों तक राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को मिटाने का प्रयास किया गया, लेकिन बाबा साहेब के विचारों को लोग जनमानस के चिंतन से हटा नहीं पाए। जिस परिवार के लिए ये सब किया गया, उस परिवार के मुकाबले कहीं ज्यादा लोग आज बाबा साहेब से प्रभावित हैं।
उन्होंने कहा कि देश की सामाजिक बुराइयों का जिस व्यक्ति ने जीवनपर्यंत सामना किया हो, वो देश को लेकर उम्मीदों से भरा हुआ था। हमें ये स्वीकारना होगा कि इतने वर्षों बाद भी हम बाबा साहेब की उन उम्मीदों को, पूरा नहीं कर सके हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों के लिए कई बार जन्म के समय मिली जाति, जन्म के समय मिली भूमि से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। आज की नई पीढ़ी में वो क्षमता है जो इन सामाजिक बुराइयों को खत्म कर सकती है। पिछले 15-20 वर्षों में जो बदलाव मैं देख रहा हूं, उसका पूरा श्रेय नई पीढ़ी को ही दूंगा।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी हमारे देश में ये स्थिति रही कि लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन में ये समानता नहीं आई। बहुत बुनियादी चीजें, बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन, एक छोटा सा घर, जीवन बीमा, उनके लिए जीवन की बहुत बड़ी चुनौतियां बनी रहीं।
अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि पिछले तीन-साढ़े तीन साल में हमने बाबा साहेब के सामाजिक लोकतंत्र के सपने को ही पूरा करने का प्रयास किया है।
इस सरकार की योजनाएं, सामाजिक लोकतंत्र को मजबूत करने वाली रही हैं सरकार के कार्यक्रमों की आलोचनाओं के संदर्भ में उन्होंने कहा कि जिन लोगों को गांव गए बहुत दिन हो गए हों, वो अब जाकर देखें। पता लगेगा कि उज्जवला योजना ने कैसे इस फर्क को मिटा दिया है कि कुछ घरों में पहले गैस कनेक्शन होता था और कुछ घरों में लकड़ी-कोयले पर खाना बनता था। ये सामाजिक भेदभाव का बड़ा उदाहरण था जिसे इस सरकार ने खत्म कर दिया है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन से गांव की महिलाओं में समानता का भाव आया है। गांव के कुछ ही घरों में शौचालय होना और ज्यादातर में ना होना, एक विसंगति पैदा करता था। धीरे-धीरे ज्यादातर गांवों में शौचालय बन रहे हैं। पहले स्वच्छता का दायरा 40 % था, वो बढ़कर अब 70 % से ज्यादा हो चुका है।
केंद्र ने 25 अक्तूबर को शीर्ष न्यायालय को बताया था कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए उन्हें अनिवार्य रूप से आधार से जोड़ने की समयसीमा को उन लोगों के लिए 31 मार्च 2018 तक बढ़ा दिया गया है जिनके पास 12 अंकों वाली विशिष्ट बायोमीट्रिक पहचान संख्या नहीं है और जो इसके लिए पंजीकरण कराना चाहते हैं।
अटॉर्नी जनरल ने न्यायालय को बताया था कि जिन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है लेकिन वे इसके लिए पंजीकरण करवाना चाहते हैं उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि ऐसे लोगों को 31 मार्च तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने से इनकार नहीं किया जा सकता।
शीर्ष न्यायालय में कुछ याचिकाकर्ताओं ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण संख्या को बैंक खातों और मोबाइल नंबर से जोड़ने को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया है।
याचिकाकर्ताओं ने छात्रों के परीक्षाओं में बैठने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने के सीबीएसई के कथित कदम पर भी आपत्ति जताई। हालांकि केंद्र ने इस दावे को खारिज किया है। (भाषा)