मन की बात में पीएम मोदी बोले, किसान आत्मनिर्भर भारत का आधार

Webdunia
रविवार, 27 सितम्बर 2020 (11:40 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए 69वीं बार देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं। कार्यक्रम से जुड़ी हर जानकारी...


11:43 AM, 27th Sep
-गांधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस - नस की समझ थी, भारत की खुश्बू थी। वहीं शास्त्री जी का जीवन हमें विनम्रता और सादगी का संदेश देता है।
-आने वाले दिनों में हम देशवासी कई महान लोगों को याद करेंगे, जिनका भारत के निर्माण में अमिट योगदान है। 2 अक्टूबर हम सबके लिए पवित्र और प्रेरक दिवस होता है। यह दिन मां भारती के दो महान सपूतों महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिन है। 
-कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगतसिंह की जयंती मनायेंगे। मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूं।
-शहीद भगतसिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे और चिन्तक भी। अपने जीवन की चिंता किए भगतसिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा।

11:34 AM, 27th Sep
-आज किसान स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती से, ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च आदि का उत्पादन कर हर वर्ष प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं।
इन किसानों के अपने फल - सब्जियों को कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की ताकत है और ये ताकत ही उनकी इस प्रगति का आधार है।
-3-4 साल पहले ही महाराष्ट्र में फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली है। 
-ग्रामीण युवा, सीधे बाज़ार में, खेती और बिक्री की प्रक्रिया में शामिल होते हैं।
-इसका सीधा लाभ किसानों को होता है, गांव के नौजवानों को रोजगार में होता है।
-पुणे और मुंबई में किसान साप्ताहिक बाज़ार खुद चला रहे हैं। इन बाज़ारों में, लगभग 70 गाँवों के, 4500 किसानों का उत्पाद, सीधे बेचा जाता है, कोई बिचौलिया नहीं।

11:30 AM, 27th Sep
-हरियाणा के एक किसान भाई में मुझे बताया कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में दिक्कत आती थी।
-2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका उन्हें और आसपास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ।


11:28 AM, 27th Sep
-हमारे यहां कहा जाता है, जो जमीन से जितना जुड़ा होता है , वो बड़े से बड़े तूफानों में भी अडिग रहता है।
-कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है। इस संकटकाल में कृषि क्षेत्र ने फिर दमखम दिखाया है।
-कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नीवं मजबूत होगी। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है।


11:24 AM, 27th Sep
-तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है। इसे ‘विल्लू पाट्’ कहा जाता है। इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है। हमारे यहां तरह-तरह की लोक-कथाएं प्रचलित हैं।
-मैं कथा सुनाने वाले सभी से आग्रह करूंगा कि क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं।
-1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब हमारी नई पीढ़ी को कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं।


11:13 AM, 27th Sep
-मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार।
-कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती हैं।
-भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है।

11:05 AM, 27th Sep
-कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवारों के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है।
-हमें, जरुर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है।


10:41 AM, 27th Sep
-प्रधानमंत्री आज मन की बात में कृषि विधेयक और कोरोनावायरस पर अपनी बात रख सकते हैं।
-अपने पिछले संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारत में खिलौनों के लिए एक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए देश में स्टार्टअप के लिए एक साथ आने का आह्वान किया था।
-उन्होंने कहा था कि भारत को खिलौनों के उत्पादन का केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा था कि दुनिया में खिलौनों का उद्योग है। लेकिन इसमें भारत का हिस्सा बहुत कम हौ और इसे बढ़ाने के लिए देश को काम करना होगा।

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