इंदौर। भाजपा के दिग्गज नेता रहे स्व. कुशाभाऊ ठाकरे के जन्म शताब्दी समारोह में भाग लेने इंदौर पहुंचे केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान यूं तो राजनीतिक मुद्दों से जुड़े सवालों से बचते रहे, लेकिन मंच पर पहुंचने से पहले चलते-चलते उन्होंने वेबदुनिया के सवाल के जवाब में कहा कि भाषाओं को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। भारत की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं। हिन्दी में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और देश की राजभाषा है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, उड़िया सभी राष्ट्रीय भाषाएं हैं। नई शिक्षा नीति में सभी भाषाओं को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि हिन्दी देश में सेतु भाषा अर्थात सभी देशवासियों को आपस में जोड़ने वाली भाषा हो सकती है।
कार्यक्रम के बाद भी उन्होंने मीडिया के एक-दो सवालों के ही जवाब दिए। उन्होंने सवालों से यह कहकर बचने की कोशिश की कि मैं तो कुशाभाऊ जी को श्रद्धांजलि देने आया था। भाषा के मुद्दे पर उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पिछले दिनों कही गई बात को ही दोहराया। शाह ने कहा था कि हिन्दी पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा बन सकती है।
उन्होंने कहा कि भाषा को लेकर जो भ्रम फैलाया जा रहा है, वह राजनीतिक है। सभी भाषाओं का अपना महत्व है। विविधता में एकता ही हमारे देश की खूबसूरती है।
महंगाई के मुद्दे पर भी उन्होंने लगभग रटारटाया जवाब ही दिया। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत ही नहीं पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है। मोदी के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने उम्मीद जताई की जल्द ही महंगाई पर काबू पा लिया जाएगा।