राजनीतिक दलों को उद्योग घरानों से मिला 957 करोड़ रुपए का चंदा

Webdunia
गुरुवार, 17 अगस्त 2017 (21:42 IST)
नई दिल्ली। देश के राजनीतिक दलों को पिछले चार साल के दौरान उद्योग घरानों से 956.77 करोड़ रुपए का चंदा मिला। यह राशि इन दलों को ज्ञात स्रोतों से प्राप्त कुल राशि का 89 प्रतिशत है। इसमें सबसे ज्यादा 705.81 करोड़ रुपए का चंदा भारतीय जनता पार्टी को मिला है।
 
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012-13 से लेकर 2015- 16 तक राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दलों को कंपनियों और उद्योग घरानों से 956.77 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। इनमें भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा 2,987 कंपनियों से 705.81 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 167 औद्योगिक घरानों से 198.16 करोड़ रुपए का चंदा प्राप्त हुआ है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की आज जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। यह रिपोर्ट पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग को दी गई जानकारी पर आधारित है।
 
उद्योग घरानों से इस दौरान राष्ट्रीवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 50.73 करोड़ रुपए, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) को 1.89 करोड़ रुपए और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) को 18 लाख रुपए रुपए का चंदा मिला। रिपोर्ट में बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि पार्टी ने कहा है कि उसे 2012- 13 और 2015- 16 के दौरान किसी भी दानदाता से 20,000 रुपए से अधिक का चंदा नहीं मिला है।
 
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, ‘2012-13से लेकर 2015-16 के बीच राष्ट्रीय स्तर के पांच राजनीतिक दलों को 20,000 रुपए से अधिक का कुल 1,070.68 करोड़ रुपए का चंदा प्राप्त हुआ जिसमें से 89 प्रतिशत यानी 956.77 करोड़ रुपए उन्हें कंपनियों और उद्योग घरानों से प्राप्त हुआ।’ 
 
एडीआर की इससे पहले जारी रिपोर्ट कहती है कि 2004- 05 से 2011-12 के आठ वर्ष में विभिन्न उद्योग घरानों ने राजनीतिक दलों को 378.89 करोड़ रुपए का चंदा दिया। यह राशि इन दलों को ज्ञात स्रोतों से प्राप्त कुल राशि का 87 प्रतिशत थी। राजनीतिक दलों को हर साल उन्हें 20,000 रुपए से अधिक राशि देने वाले दानदाता का पूरा ब्योरा चुनाव आयोग को देना होता है।
 
रिपोर्ट के अनुसार 2012- 13 से लेकर 2015-16 के बीच भाजपा और कांग्रेस को 20,000 रुपए से अधिक राशि दानस्वरूप देने वाले उद्योग घराने अथवा कंपनियों का योगदान क्रमश: 92 प्रतिशत और 85 प्रतिशत रहा है। सीपीआई और सीपीएम को मिलने वाला औद्योगिक अनुदान क्रमश चार प्रतिशत और 17 प्रतिशत रहा है।
 
दिल्ली स्थित एडीआर के अनुसार राष्ट्रीय स्तर के दलों को सबसे ज्यादा चंदा 2014- 15 में प्राप्त हुआ जब लोकसभा के चुनाव हुए। वर्ष 2012-13 से लेकर 2015- 16 के चार वर्षों में कुल जितना चंदा मिला उसका 60 प्रतिशत अकेले 2014-15 में चुनावी वर्ष में प्राप्त हुआ।
 
रिपोर्ट के मुताबिक 2012-13 के दौरान कोई चंदा नहीं देने के बावजूद बाकी के तीन साल में सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने सबसे ज्यादा अनुदान दिया। इस ट्रस्ट ने तीन साल में 35 बार में कुल मिलाकर 260.87 करोड़ रुपए का चंदा दिया। 
 
इसमें भाजपा को 193.62 करोड़ रुपए और कांग्रेस (आईएनसी) को 57.25 करोड़ रुपए दिए गए। इसके बाद सबसे ज्यादा अनुदान देने वालों में दूसरा नंबर जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट का रहा। चार साल की आलोच्य अवधि में इस ट्रस्ट ने भाजपा को 70.7 करोड़ और कांग्रेस को 54.1 करोड़ रुपए का चंदा दिया।
 
कम्युनिस्ट पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा देने वालों में एसोसिएशनें और यूनियनें शामिल हैं। सीपीएम को विभिन्न संघों से 1.09 करोड़ रुपए और कम्युनिस्ट पार्टी को 14.64 लाख रुपए विभिन्न संगठनों और यूनियनों से प्राप्त हुए। (भाषा)
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