नई दिल्ली। शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के नए शोध ने संकेत दिया है कि भारत की राजधानी दिल्ली के लोगों के बीच वायु प्रदूषण की जानकारी और इससे बचाव के लिए जागरूकता का नितांत अभाव है। दिल्ली के घरों में प्रदूषण 29 गुना ज्यादा पाया गया है। दिल्ली में बढ़ते जानलेवा प्रदूषण से सांस लेना दूभर हो गया है।
एक अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया कि उच्च आय वाले घरों में कम-आय वाले घरों की तुलना में एयर प्यूरीफायर रखने की संभावना 13 गुना अधिक है। इसके बावजूद उच्च-आय वाले घरों में इनडोर वायु प्रदूषण का स्तर कम-आय वाले घरों की तुलना में केवल 10% कम था। अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. केनेथ ली कहते हैं कि दिल्ली में मुख्य बात यह है कि कोई अमीर हो या गरीब, किसी को भी स्वच्छ हवा में सांस लेने को नहीं मिलता है।
डॉ. केनेथ आगे कहते हैं कि जागरूकता बढ़ने से ही स्वच्छ हवा की मांग में तेजी आ सकती है। प्रयोग में पाया गया कि जिन घरों में रियल टाइम पर घरेलू प्रदूषण का आंकड़ा है, उनमें पीएम 2.5 कंसंट्रेशन में 8.6 फीसदी की गिरावट हुई है। ऐसे घरों में प्रदूषण के रोकथाम के लिए सुरक्षात्मक कार्यों और बेहतर वेंटिलेशन के मामूली प्रयास दर्ज किये गए थे। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि घर के अंदर पीएम2.5 का स्तर सुबह और शाम में बढ़ जाता है, जब घरों में खाना पकाने की सबसे अधिक संभावना होती है।