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मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन, विधानसभा निलंबित, फैसले पर कांग्रेस ने लगाया यह आरोप

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025 (23:02 IST)
Manipur News : मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के अपने पद से इस्तीफा देने के कुछ दिन बाद बृहस्पतिवार को हिंसा प्रभावित मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। विधानसभा को भी निलंबित कर दिया गया है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि प्रदेश के सामाजिक ताने-बाने को गंभीर क्षति पहुंचने के बाद यह कदम उठाया गया है, जिसकी मांग पार्टी लंबे समय से कर रही थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मानना है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें इस राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती।
 
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, मणिपुर विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है, जिसका कार्यकाल 2027 तक है। मणिपुर में भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे सिंह ने करीब 21 महीने की जातीय हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
सिंह ने नौ फरवरी को यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के कुछ घंटे बाद इंफाल में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट भेजे जाने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय लिया गया।
 
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करते हुए गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मानना है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें इस राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती।
 
अधिसूचना में कहा गया है, अब संविधान के अनुच्छेद 356 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, मैं घोषणा करती हूं कि मैं भारत के राष्ट्रपति के रूप में मणिपुर राज्य सरकार के सभी कार्यों और इस राज्य के राज्यपाल द्वारा निहित या प्रयोग की जाने वाली सभी शक्तियों को अपने अधीन करती हूं। अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य विधानमंडल की शक्तियों का प्रयोग संसद द्वारा या उसके प्राधिकार के तहत किया जा सकेगा।
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पार्टी के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और पार्टी विधायकों के बीच कई दौर की चर्चा के बावजूद पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने में विफल रही।
 
मई 2023 में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें इंफाल घाटी में बहुसंख्यक मेइती समुदाय और आसपास की पहाड़ियों में बसे कुकी-जो आदिवासी समूहों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। जातीय हिंसा के कारण अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। इस बीच, इंफाल में अधिकारियों ने आज बताया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद प्रतिबंधित आतंकी समूहों की किसी भी हरकत से निपटने के लिए मणिपुर में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
 
उन्होंने बताया कि इंफाल घाटी के इलाकों में भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं, जहां अरमबाई टेंगोल समूह के कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर हमले किए हैं। अधिकारियों ने बताया कि असम राइफल्स और अन्य अर्धसैनिक बल इंफाल शहर में कानून-व्यवस्था की किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए फ्लैग मार्च करेंगे।
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फैसले पर कांग्रेस ने लगाया यह आरोप : मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि प्रदेश के सामाजिक ताने-बाने को गंभीर क्षति पहुंचने के बाद यह कदम उठाया गया है, जिसकी मांग पार्टी लंबे समय से कर रही थी।
 
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर दावा किया कि राष्ट्रपति शासन तब लगाया गया है जब उच्चतम न्यायालय ने राज्य में 'संवैधानिक तंत्र के पूर्ण रूप से ठप हो जाने' की बात कही। कांग्रेस महासचिव ने लिखा कि राष्ट्रपति शासन तब लगाया गया जब जब फरवरी 2022 में भाजपा और उसके सहयोगियों को भारी बहुमत मिला, लेकिन उनकी राजनीति ने महज़ पंद्रह महीनों के भीतर इस भयानक त्रासदी को जन्म दिया।
कांग्रेस महासचिव ने लिखा कि यह तब हुआ है जब केंद्रीय गृहमंत्री मणिपुर की स्थिति संभालने में पूरी तरह से विफल रहे, जबकि इस दायित्व को प्रधानमंत्री ने उन्हें सौंपा था। रमेश ने कहा कि यह तब हुआ है जब दुनियाभर में घूमने वाले प्रधानमंत्री, मणिपुर जाने और वहां सुलह प्रक्रिया शुरू करने से लगातार इनकार करते रहे। (इनपुट भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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