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रिटायर सांसदों से पीएम मोदी बोले - सदन के दरवाजे बंद हुए हैं, मेरे दफ्तर के नहीं

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नई दिल्ली , बुधवार, 28 मार्च 2018 (11:31 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा के सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को बुधवार को उनके आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सदन में हंगामे के कारण वे तीन तलाक पर रोक विधेयक जैसे ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण फैसलों पर निर्णय की प्रक्रिया में हिस्सा लेने से वंचित रह गए। उन्होंने कहा कि भले ही आप लोग संसद से जा रहे हैं लेकिन आपके लिए पीएमओ के दरवाजे हमेशा खुले हैं। 
 
उच्च सदन ने अपने सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को बुधवार को विदाई दी। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि कुछ साथी इस अनुभव को लेकर समाजसेवा में अपनी भूमिका को और मजबूत करेंगे। अवकाशग्रहण कर रहे महानुभावों में से हर एक का अपना योगदान रहा है और हर किसी ने राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रयास किया है। राष्ट्र उनके योगदान को कभी भूल नहीं सकता।
 
उन्होंने सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को उत्तम सेवा के लिए बधाई और उनके भविष्य के जीवन के लिए शुभकामनाएं दी। उच्च सदन के महत्व का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यहां जो बात बताई जाती है, उसका लोकतंत्र में एक विशेष महत्व है और जो नीति निर्धारण में खास भूमिका निभाता है।
 
उन्होंने अपने संबोधन में उपसभापति पीजे कुरियन, मनोनीत सदस्यों के. पराशरन, दिलीप  तिर्की तथा सचिन तेंदुलकर का खासतौर पर जिक्र किया और कहा कि आने वाले दिनों में हमें उनका साथ नहीं मिलेगा। कुरियन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा हमेशा याद किया जाएगा। मोदी ने कहा कि कुरियन ने संकट की घड़ी में भी सदन को ठीक से चलाया।
 
उन्होंने कहा कि अधिकतर सदस्य राजनीतिक विचारधारा के लोग हैं, ऐसे में स्वाभाविक है कि उन बातों को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करेंगे। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ग्रीन हाउस में जो होता हो, वह रेड हाउस में भी हो। कई सदस्यों ने सोचा होगा कि अपने आखिरी सत्र में वे कुछ विषय उठाएंगे लेकिन हंगामे के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए और इस संबंध में हम सबकी जिम्मेदारी बनती है।
 
उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि उन्हें उत्तम चीजें छोड़कर जाने का अवसर मिलता लेकिन वे सौभाग्य से वंचित रह गए। सदस्य तीन तलाक पर रोक जैसे विधेयक पर फैसले की प्रक्रिया से वंचित रह गए। इस बात की उन सदस्यों को कसक रहेगी, क्योंकि ये फैसले ऐतिहासिक महत्व के हैं और इन्हें याद किया जाएगा। (भाषा) 

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