बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला मनमोहन सिंह ही जानते हैं : मोदी

Webdunia
बुधवार, 8 फ़रवरी 2017 (20:58 IST)
नई दिल्ली। नोटबंदी को संगठित एवं कानूनी लूट का उदाहरण बताने के बयान को लेकर मनमोहनसिंह पर तीखा प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि 35 वर्षों तक देश के आर्थिक पदिदृश्य के केंद्र में रहने वाले मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में इतना सब कुछ हुआ लेकिन उनके उपर कोई दाग तक नहीं लगा और ‘बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला डॉ. साहब’ही जानते हैं और कोई नहीं जानता।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हर बात में विरोध ठीक नहीं है और कांग्रेस किसी भी रूप में पराजय स्वीकार हीं नहीं करना चाहती. यह कब तक चलेगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ‘पिछले सत्र में मनमोहन सिंह जी कुछ कहा था। करीब करीब 35 साल तक वह देश के आर्थिक परिदृश्यों के केंद्र में रहे। डॉ. साहब पूर्व प्रधानमंत्री है और वे आदरणीय हैं। हिन्दुस्तान में पिछले 30-35 वर्षों के आर्थिक परिदृश्य में उनका दबदबा रहा है।’ 
 
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 70 साल में हिन्दुस्तान में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति है जिसका आर्थिक परिदृश्य में इतना दबदबा रहा। ‘हम राजनीतिकों को इनसे काफी कुछ सीखने की जरूरत है। इनके समय इतना सब कुछ हुआ, घोटाले हुए लेकिन इनके उपर एक दाग तक नहीं लगा। ‘बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला डॉ. साहब’ ही जानते हैं और कोई नहीं जानता।’ प्रधानमंत्री के बयान पर ऐतराज व्यक्त करते हुए कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
 
उल्लेखनीय है कि पिछले सत्र में नोटबंदी पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए मनमोहन सिंह ने कहा था कि विमुद्रीकरण को जिस तरह से लागू किया गया है, वह ऐतिहासिक कुप्रबंधन है और यह संगठित एवं कानूनी लूट का उदाहरण है। प्रधानमंत्री के जवाब के बाद माकपा, भाकपा, तृणमूल कांग्रेस और अमर सिंह को छोड़कर सपा के सदस्यों ने भी राष्ट्रपति के अभिभाषण में अपना संशोधन अस्वीकार करने के कारण सदन से वाकआउट किया।
 
शीतकालीन सत्र में मनमोहनसिंह उपयोग किए गए शब्दों के चयन से क्षुब्ध प्रतीत हो रहे मोदी ने कहा कि सदन में जब लूट और प्लंडर जैसे शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं, तब समझना चाहिए कि मर्यादा क्या होती है। हममें लोकतंत्र और संविधान के दायरे में रह कर उसी रूप में जवाब देने का सामर्थ्य है। प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के समर्थन में दिए गए दिग्गज वामपंथी नेता ज्योर्तिमय बसु और हरकिशनसिंह सुरजीत के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि सीताराम एचुरी के दल को विमुद्रीकरण का समर्थन करना चाहिए। 

कांग्रेस सदस्यों के वाकआउट पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यदि वे मर्यादा का उल्लंघन करते हैं तो उनमें जवाब सुनने का भी माद्दा होना चाहिए। नोटबंदी के विरोध पर वामदलों को आड़े हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सीताराम एचुरी की पार्टी की और हमारी विचारधारा में अंतर है लेकिन मैं यह सोचता था कि वे इस कदम का समर्थन करेंगे।
 
दिग्गज वामपंथी नेता ज्योर्तिमय बसु के 12 नवंबर 1970 को दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि बसु ने कहा था कि इंदिरा गांधी कालेधन पर बनी हुई हैं, उनकी राजनीति कालेधन पर बची हुई है और इसलिए उनकी सरकार ने कालेधन संबंधी वांगचू समिति की रिपोर्ट को लागू नहीं किया और उसे डेढ़ साल तक दबाए रखा।
 
प्रधानमंत्री ने 4 सितंबर 1972 के बसु के भाषण का जिक्र किया, जिसमें विमुद्रीकरण एवं अन्य उपायों की सिफारिश की गई थी और कहा गया था कि इंदिरा गांधी की सरकार कालेधन की सरकार, कालेधन द्वारा और कालेधन के लिए है।
 
उन्होंने कहा कि माकपा नेता हरकिशन सिंह सुरजीत ने इसी सदन में 27 अगस्त 1981 को पूछा था कि क्या काले धन पर रोक लगाने के लिए कोई कदम उठाए जा रहे हैं और साथ ही 100 रूपए के नोट बंद करने के बारे में भी उन्होंने सवाल उठाया था। मोदी ने कहा कि हमारे विचार अलग अलग हो सकते हैं, लेकिन जनहित में उठाए गए कदमों को हम सब को मिलकर बढ़ावा देना चाहिए।
 
नोटबंदी के निर्णय को दुनिया में किया गया ऐसा सबसे बड़ा कदम करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ऐसा कदम था जिसकी कोई तुलना नहीं है। दुनिया में इतने बड़े पैमाने पर ऐसा कोई व्यापक निर्णय नहीं किया गया। और इसलिए दुनिया के अर्थशास्त्रियों को इसका लेखाजोखा लेने में समय लगेगा। यह तो दुनिया के अर्थशास्त्रियों और विश्वविद्यालियों के लिए ‘केस स्टडी’ बन सकता है।
 
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कुल 651 संशोधन पेश किए गए, जो या तो अस्वीकृत कर दिए गए या वापस ले लिए गए। इसके बाद उच्च सदन ने राष्ट्रपति के प्रति कृतज्ञता जताते हुए उनके अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहली बार देश में ऐसा दृश्य देखने को मिला है जब सरकार और जनता एक साथ खड़ी दिख रही है। नोटबंदी के विरोध पर विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ये जनता से इतने कटे हुए हैं कि इन्हें जनता जनार्दन के मिजाज का पता ही नहीं है।
 
प्रधानमंत्री के भाषण में ज्यादा जोर विमुद्रीकरण के विषय पर था। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य न केवल कालेधन पर और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना था बल्कि आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकना भी था। कालाधन और भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है, यह किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं है। इससे किसी को अपने आप को जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है।
 
मोदी ने कहा कि देश में ईमानदार व्यक्ति को ताकत तब ही मिलेगी जब बेइमानी पर अंकुश लगाया जाएगा। हमने नोटबंदी के जरिए ईमानदार व्यक्ति को ताकत देने की कोशिश की है। हमें उनके विरुद्ध सख्त बनना होगा जो व्यवस्था के साथ धोखा कर रहे हैं, जब हम ऐसा करेंगे तो गरीबों के हाथ मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत उन खामियों को दुरुस्त करने में जुटा है जो हमारे समाज में घुस गई हैं।
 
उन्होंने कहा कि आज कालाधन, आतंकी संगठन, जाली नोट, नशीली दवाओं का कारोबार, भ्रष्टाचार आदि का दायरा बहुत बढ़ चुका है। नोटबंदी से इन सब पर रोक लगाने की हमने कोशिश की है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में नवंबर एवं दिसंबर के दौरान 30 से 40 दिन में 700 से अधिक माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। यह पहली बार हुआ है और यह सिलसिला जारी है। यह नोटबंदी की वजह से ही संभव हो पाया है।
 
मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों के पास से 2000 रूपए के नए नोट मिलने के बारे में मोदी ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि विमुद्रीकरण के निर्णय के बाद उनके पास रोजमर्रा की जरूरत के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए बैंक लूटने की घटना भी सामने आई। इसीलिए बाद में मारे गए आतंकवादियों के पास से नए नोट बरामद हुए। जाली नोटों के खिलाफ शिकंजा कसने से उन्हें (आतंकवादियों को) समस्या हुई।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें एक आवाज बनकर लड़ना होगा। नोटबंदी को लेकर आरबीआई के गवर्नर की आलोचना किए जाने के संबंध में मोदी ने कहा कि हमारी पार्टी, हमारी सरकार और मुझ पर हमले तो समझ में आते हैलेकिन आरबीआई गवर्नर को क्यों इसमें घसीटा गया? यह अच्छा नहीं है। (भाषा) 
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