बिहार में शौचालयों के बारे में मोदी का दावा

Webdunia
बुधवार, 11 अप्रैल 2018 (16:35 IST)
पटना। अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सर ऐसे दावे और ऐसी बातें भी कह जाते हैं जोकि सच नहीं होती है। यह बात अलग है कि भाजपा का 'गोदी मीडिया' मोदी की ऐसी जानकारी पर लीपापोती करता रहता है ताकि आपको सही स्थिति की जानकारी न मिल सके।
 
अब एक सवाल किया जा सकता है कि एक सप्ताह में ज्यादा से ज्यादा कितने शौचालयों का निर्माण किया जा सकता है। तब भी जब पूरे सप्ताह, चौबीसों घंटे, हर क्षण लम्हा काम चलता रहे। पिछले दिवस 'चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के समापन समारोह' के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मोतीहारी में इस सवाल का जवाब दिया, 'आठ लाख पचास हजार टॉयलेट।'
 
मोतीहारी में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पिछले एक हफ्ते में बिहार में 8 लाख 50 हजार से ज्यादा शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा हुआ है।' क्या यह संभव है? अब थोड़ी अपनी अक्ल लगाने का काम करें। एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। एक दिन में 24 घंटे यानी सात दिन में 168 घंटे हुए। इस प्रकार अगर प्रधानमंत्री के दावे पर यकीन किया जाए तो बिहार में हरेक घंटे 5059 टॉयलेट यानी हर मिनट 84 टॉयलेट का निर्माण हुआ।  
 
ऐसा कमाल सिर्फ मोदी राज में होता है। जबकि वास्तविकता है कि स्वयं बिहार सरकार का कहना है कि इन साढ़े आठ लाख शौचालयों का निर्माण बीते एक सप्ताह नहीं बल्कि चार सप्ताहों के दौरान हुआ है। बिहार सरकार द्वारा चलाए जा रहे लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के सीईओ सह मिशन डायरेक्टर बालामुरुगण डी ने बताया कि 'तेरह मार्च से लेकर नौ अप्रैल के बीच 8.50 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया।'
 
अब यह न पूछें कि इन शौचालयों की गुणवत्ता कैसी है? उनके मुताबिक बीते करीब डेढ़ बर्षों के दौरान की गई तैयारियों से ऐसा संभव हुआ जिनमें राज-मिस्त्रियो की ट्रेनिंग से लेकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया गया था। उल्लेखनीय है कि बिहार में अभी करीब 86 लाख शौचालय हैं। वहीं अब भी आधे से भी कम करीब 43 फीसदी घरों में ही शौचालय उपलब्ध है।
 
आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बिहार का कोई भी जिला अब तक खुले में शौच से मुक्त नहीं घोषित हुआ है। राज्य  सरकार के दावों के अनुसार रोहतास जिला बिहार का पहला ऐसा जिला बनने के करीब है। इस जानकारी पर बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया कि 'ऐसे झूठे दावे से बिहार के मुख्यमंत्री भी सहमत नहीं होंगे।' लेकिन यह बात अलग है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में साम्प्रदायिकता को मिटाने पहुंच गए हैं। 

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