पीएसी में मोदी को बुलाने की मांग उठने की संभावना

Webdunia
सोमवार, 9 जनवरी 2017 (23:45 IST)
नई दिल्‍ली। संसद की लोकसभा समिति में नोटबंदी पर रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल के जवाबों से संतुष्ट न होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाने की मांग उठ सकती है। समिति के अध्यक्ष केवी थामस ने सोमवार को यहां बताया समिति की 20 जनवरी को होने वाली बैठक में पटेल तथा वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को नोटबंदी पर जवाब देने के लिए बुलाया गया है। 
         
इस बीच 22 सदस्‍यीय इस समिति के एक सदस्य ने बताया कि यदि रिजर्व बैंक के गवर्नर और वित्त सचिव अशोक लवासा तथा आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास के जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए  तो समिति में वित्तमंत्री अरुण जेटली और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुलाने की मांग हो सकती है। 
         
समिति ने रिजर्व बैंक के गर्वनर और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से पूछा है कि क्या नोटबंदी से कालाधन बाहर आया है, इस फैसले में कौन-कौन से लोग शामिल थे, नोटबंदी के बाद बैंकों में कितने पैसे वापस आए और इस कदम से आम आदमी कैसे प्रभावित हुआ है। 
         
समिति में शामिल कुछ विपक्षी सदस्यों का यह भी कहना है कि जिम्मेदार सांसद होने के नाते वे समिति के कामकाज में और प्रधानमंत्री तथा जेटली को बुलाने पर सर्वसम्मति से आगे बढ़ना चाहेंगे। 
        
एक कांग्रेस सदस्य ने कहा, हम भाजपा सांसदों को याद दिलाना चाहते हैं कि जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार थी तो उन्होंने टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन के मुद्दे पर किस तरह बर्ताव किया था। वर्ष 2011 में मुरली मनोहर जोशी पीएसी के अध्यक्ष थे। उन्होंने उस समय पीएसी में शामिल विपक्षी सदस्यों के साथ-साथ इस मामले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीसी चाको के साथ टकराव का रास्ता अपनाया था। 
         
अंत में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने अभूतपूर्व फैसला लिया था। उन्होंने दोनों समितियों से परस्पर सहयोग के साथ काम करने का आग्रह किया था। 
       
पीएसी सर्वसम्मति से काम करती है। पीएसी में भाजपा के निशिकांत दुबे, किरीट सोमैया और अनुराग ठाकुर जैसे मुखर सदस्यों के अलावा जनार्दन सिंह सिगरीवाल और अभिषेक सिंह हैं। इसमें तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल भी हैं। समिति के अध्यक्ष थॉमस के अलावा कांग्रेस शांताराम नाइक, सत्यव्रत चतुर्वेदी और भुवनेश्वर कलीता इसके सदस्यों में शामिल हैं। (वार्ता) 
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