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रजनीकांत ने किया CAA का समर्थन, NRC को बताया बहुत आवश्यक

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, बुधवार, 5 फ़रवरी 2020 (17:50 IST)
चेन्नई। सुपरस्टार रजनीकांत ने बुधवार को संशोधित नागरिकता कानून (CAA) का समर्थन करते हुए कहा कि इस कानून से मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है। साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NRC) को बहुत आवश्यक बताया।
 
फिल्म अभिनेता ने कहा कि अगर इस कानून के कारण मुसलमानों को कोई परेशानी आती है तो सबसे पहले वह आवाज उठाएंगे।
 
नागरिकता कानून में संशोधन और इसके खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शनों के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए रजनीकांत ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी के बारे में गलतफहमी को दूर करने का आह्वान करते हुए कहा कि सरकार ने अभी इसके बारे में मन नहीं बनाया है।
 
CAA पर 69 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि विभाजन के बाद भारत में रुके मुसलमानों को कैसे देश से बाहर भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम आबादी के एक हिस्से ने पाकिस्तान जाना चुना जबकि अन्य ने भारत में जीना और मरना चुना क्योंकि यह उनकी ‘जन्मभूमि’ है और देश में उनके पास अपने सभी अधिकार हैं।
 
उन्होंने कहा, 'यह डर पैदा किया गया कि सीएए मुसलमानों के लिए खतरा है। यह कैसे मुसलमानों के लिए खतरा है? सीएए से मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है। अगर इस कानून के कारण उन्हें कोई दिक्कत आती है तो उनके लिए आवाज उठाने वाला मैं पहला शख्स होऊंगा।'
 
राजनीति में आने की योजना बना रहे अभिनेता ने अपने दोस्त और मक्कल निधि मैयम (एमएनएम) प्रमुख कमल हासन के विपरीत रुख अपनाया है जिन्होंने सीएए का कड़ा विरोध किया है। एमएनएम उन दलों में से एक है जिन्होंने उच्चतम न्यायालय में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं।
 
ऐसी संभावना है कि अगले साल के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रजनीकांत अपनी पार्टी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि भारतीय लोगों को सीएए से कोई परेशानी नहीं होगी।
 
उन्होंने कहा कि सरकार ने कहा कि कोई नागरिक अपनी नागरिकता नहीं गंवाएगा और यह कानून उन लोगों को नागरिकता देने के बारे में है जो हमारे पड़ोसी देशों से आए हैं।
 
सीएए में भारत में श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता न दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर रजनीकांत ने कहा कि यहां करीब तीन दशकों से रह रहे तमिल शरणार्थियों को दोहरी नागरिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने अन्नाद्रमुक सरकार के रुख को दोहराते हुए कहा कि जो तमिल शरणार्थी यहां हैं उन्हें निश्चित तौर पर दोहरी नागरिकता दी जानी चाहिए।

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