अंग्रेजी में एक कहावत है, किसी ने कहा था, ‘ऑल गुड मेन एंड आर्टिस्ट डाई सो अरली’
इस दौर में शायद यही हो रहा है। पहले एक खालिस अभिनेता इरफान खान और अब दूसरे ही दिन लवर बॉय ऋषि कपूर की मौत। यह भी उस वक्त में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट में कई हजार लोग अपनों को खोते जा रहे हैं।
बुधवार की मनहूस सुबह इरफान की खबर लेकर आई थी और गुरुवार की सुबह ऋषि कपूर नहीं रहे।
ऋषि कपूर। बहुत बेबाक। लवर बॉय। चॉकलेटी और एनर्जेटिक हीरो। सबसे खास बात यह है कि जैसे वे थे, वैसे ही असल जिंदगी और पर्दे पर नजर आए। ऋषि कपूर ने उस दौर में काम किया जब अमिताभ बच्चन का कॅरियर अपने पूरे शबाब पर था। उनकी एंग्री यंग मेन की छवि हर नौजवान के रहने के तरीके और दिखने में नजर आती थी। ऐसे में ऋषि कपूर का हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर जमाना वो भी एक लवर बॉय के तौर पर एक अचिवमेंट ही था।
तरह- तरह के लवर बॉय और रोमांटिक किरदारों वाले रोल ने उस दौर में एक प्रेमी के रूप में स्थापित कर दिया था। मेरा नाम जोकर से बाल कलाकार के तौर पर अपना कॅरियर शुरू करने वाले ऋषि कपूर ने बॉबी फिल्म में जो किरदार निभाया उसके बाद वे खुद और डिंपल कपाडिया प्रेमी युगल का एक प्रतीक ही बन गए। इसके बाद प्रेम रोग, चांदनी, बोल राधा बोल जैसी एक ही धारा की फिल्मों ने उन्हें रोमांटिक हीरो का एक सबसे मजबूत विकल्प बना दिया।
लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि जो ऋषि कपूर फिल्मों में चॉकलेटी छवि में नजर आते थे वे अपने असल जीवन में रियल एंग्री यंग मेन थे। उनकी छवि अमिताभ की तरह सिर्फ स्क्रीन पर ही एंगी यंग मेन की नहीं थी। वे अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे। खुलकर बोलना उनकी खासियत थी। बाद के दिनों में यह बहुत ज्यादा देखने को मिला।
ट्विटर पर वे किसी भी मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते थे। इंटरव्यू में खुलकर बात करते थे। जिन लोगों ने उन्हें परदे पर एक लवर बॉय के तौर देखा वे रियल लाइफ में उन्हें गुस्स में देखकर हैरान थे, लेकिन दरअसल ऋषि कपूर ऐसे ही थे। इसका खामियाजा भी हालांकि उन्हें भुगतना पड़ा। अपनी बेबाकी के लिए ट्विटर पर उन्हें कई बार ट्रोल किया गया।
आखिरी दिनों में अपने इसी बेबाकपन के कारण उनकी छवि को भी धक्का पहुंचा लेकिन बावजूद इसके उन्होंने खुद को बदला नहीं। अपने अंदाज से उन्होंने कभी कोई समझौता नहीं किया। चॉकलेटी चेहरे के पीछे रियल लाइफ में अपने एंग्री यंग मेन के किरदार को उन्होंने हमेशा बरकरार रखा। अच्छी बात तो यह है कि कैंसर से अपनी लड़ाई में भी उन्होंने यही जज्बा कायम रखा। इलाज के दौरान लगातार सक्रिय रहे। ट्विटर पर लोगों से बातें करते रहे और कई मुद्दों पर अपनी बात खुलकर रखते रहे।
यही नहीं, हाल ही की उनकी फिल्मों ने उन्होंने अपने रोमांटिक हीरो की छवि को भी तोड़कर दिखाया। इन फिल्मों में वो कुछ नकारात्मक और डॉन की भूमिका में भी नजर आए।
कुल मिलाकर ऋषि कपूर एक अपने अंदाज में जीने वाले, अपनी तरह के एक्टर और बेबार इंसान थे, जिसने अपनी जिंदगी से कभी समझौता नहीं किया।