नई दिल्ली। म्यांमार से रोहिंग्या मुस्लिमों के बड़ी संख्या में बांग्लादेश जाने के बीच पड़ोसी देश ने भारत से अपनी स्थिति और आव्रजन के कारण बढ़ते दबाव को लेकर चर्चा की। बांग्लादेश के उच्चायुक्त सैयद मुअज्जिम अली ने आज विदेश सचिव एस. जयशंकर से मुलाकात की जिस दौरान दोनों पक्षों ने रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की।
बांग्लादेश उच्चायोग के सूत्रों ने यहां बताया कि करीब आधे घंटे चली बैठक के दौरान बांग्लादेश के उच्चायुक्त ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप की जरूरत के बारे में बातचीत की और शरणार्थियों की समस्या का समाधान करने के लिए म्यांमार पर दबाव बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की सरकार मानवता के नाते इन शरणार्थियों को आश्रय मुहैया करा रही है लेकिन इससे देश पर काफी दबाव है।
बांग्लादेश उच्चायोग के एक अधिकारी ने बताया कि बांग्लादेश में हजारों रोहिंग्या रोजाना आ रहे हैं। इससे देश में काफी समस्या पैदा हो रही है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 25 अगस्त से जब हिंसा का नया दौर शुरू हुआ तब से म्यामांर के राखीने प्रांत से करीब 30 हजार रोहिंग्या बांग्लादेश चले गए।
मीडिया की खबरों के मुताबिक हिंसा तब शुरू हुई जब रोहिंग्या आतंकवादियों ने म्यामांर के उत्तरी राखीने प्रांत में पुलिस चौकियों पर हमला किया। खबरों के मुताबिक बौद्ध बहुल देश में अधिकतर मुस्लिम अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों का आरोप है कि सेना और राखीने के बौद्धों ने उनके खिलाफ जघन्य अभियान शुरू कर दिया।
तीन दिनों के म्यामांर दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राखीने प्रांत में ‘‘अतिवादी हिंसा’’ के खिलाफ वहां की सरकार के साथ एकजुटता दिखाई। मोदी ने सभी पक्षों से आग्रह किया कि ऐसा समाधान ढूंढें ताकि देश की एकता कायम रहे। (वार्ता)