नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को चीन के अपने समकक्ष वांग ई से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच पूर्वी लद्दाख विवाद और यूक्रेन संकट से पैदा हुई भू-राजनीतिक उथल-पुथल समेत विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई।
वांग गुरुवार शाम काबुल से दिल्ली पहुंचे थे। उनकी यात्रा को लेकर कोई आधिकारिक बयान या प्रतिक्रिया नहीं दी गई थी। जयशंकर ने वार्ता से पहले ट्वीट किया कि हैदराबाद हाउस में चीन के विदेश मंत्री वांग ई का अभिवादन किया। हमारी चर्चा शीघ्र आरंभ होने वाली है। वांग की यात्रा पर भारत की ओर से यह पहली सार्वजनिक टिप्पणी है।
पूर्वी लद्दाख में लगभग 2 साल पहले शुरू हुए सैन्य गतिरोध के चलते दोनों देशों के संबंधों में आए तनाव के बाद चीन की ओर से यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। जयशंकर के साथ वार्ता से पहले वांग ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की। बैठक के बारे में कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई।
समझा जाता है कि वांग और डोभाल के बीच बैठक में सीमा मुद्दे पर व्यापक चर्चा हुई। वांग और डोभाल दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। डोभाल और वांग ने पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने को लेकर जुलाई 2020 में फोन पर लंबी बातचीत की थी।
भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध का हल निकालने के लिए उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता भी कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने बातचीत के बाद कुछ स्थानों से अपने सैनिक वापस भी बुलाए हैं। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए 11 मार्च को भारत और चीन के बीच 15वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता हुई थी। हालांकि वार्ता में कोई समाधान नहीं निकल पाया था।
गौरतलब है कि पैंगोंग झील के इलाकों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच विवाद के बाद पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को हिंसक संघर्ष से तनाव बढ़ गया था। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और चीन के कई सैनिक भी मारे गए थे। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे वहां हजारों सैनिकों तथा भारी हथियारों को पहुंचाकर अपनी तैनाती बढ़ाई है। वर्तमान में संवेदनशील क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों ओर में से प्रत्येक हिस्से में लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।