LAC पर गश्त समझौता, चीन के साथ संबंधों पर क्या बोले विदेश मंत्री जयशंकर?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
रविवार, 27 अक्टूबर 2024 (07:38 IST)
India China relation : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पुणे में एक कार्यक्रम में कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त को लेकर चीन के साथ हुए समझौते का यह मतलब नहीं है कि दोनों देशों के बीच मुद्दे सुलझ गए हैं। उन्होंने कहा कि सैनिकों के पीछे हटने से अगले कदम पर विचार करने का मौका मिला है।
 
जयशंकर ने छात्रों से बातचीत में कहा कि 21 अक्टूबर को जो समझौता हुआ, उसके तहत देपसांग और डेमचोक में गश्त की जाएगी। इससे अब हम अगले कदम पर विचार कर सकेंगे। ऐसा नहीं है कि सबकुछ हल हो गया है, लेकिन सैनिकों के पीछे हटने का पहला चरण है और हम उस स्तर तक पहुंचने में सफल रहे हैं।
 
विदेश मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि संबंधों को सामान्य बनाने में अभी भी समय लगेगा। उन्होंने कहा कि भरोसे को फिर से कायम करने और साथ मिलकर काम करने में स्वाभाविक रूप से समय लगेगा।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के कजान में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की थी, इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिलेंगे और देखेंगे कि आगे कैसे बढ़ा जाए?
 
 
उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने अपने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। उन्होंने कहा कि एक समस्या यह भी रही कि पहले के वर्षों में सीमा पर बुनियादी ढांचे की वास्तव में उपेक्षा की गई थी।
 
जयशंकर ने कहा कि आज हम एक दशक पहले की तुलना में प्रति वर्ष पांच गुना अधिक संसाधन लगा रहे हैं, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं और सेना को वास्तव में प्रभावी ढंग से तैनात करने में सक्षम बना रहे हैं।
 
कुछ दिन पहले भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर समझौता हुआ था, जो चार साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।
 
जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण संघर्ष के बाद संबंधों में तनाव आ गया था। यह पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। सितंबर 2020 से भारत चीन के साथ समाधान निकालने के लिए बातचीत कर रहा था।
 
विदेश मंत्री ने कहा कि इस समाधान के विभिन्न पहलू हैं। उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि सैनिकों को पीछे हटना होगा, क्योंकि वे एक-दूसरे के बहुत करीब हैं और कुछ घटित होने की आशंका थी। इसके बाद एक बड़ा मुद्दा यह है कि आप सीमा का प्रबंधन कैसे करते हैं और सीमा समझौते को लेकर बातचीत कैसे करते हैं। अभी जो कुछ भी हो रहा है, वह पहले चरण से संबंधित है, जो कि सैनिकों की वापसी है।
Edited by : Nrapendra Gupta

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

CJI चंद्रचूड़ की टिप्पणी पर SC जजों ने जताई आपत्ति, जानिए क्या कहा

सावधान! नए रैपर में एक्सपायरी दवाएं तो नही खा रहे आप

उमर अब्दुल्ला को याद आए अटल जी, हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं

INDIA की 7 गारंटी, 10 लाख नौकरियां, 450 रुपए में गैस सिलेंडर

रायबरेली में राहुल गांधी, कहा- जब भी यहां आता हूं, रिश्ता और गहरा हो जाता है

सभी देखें

नवीनतम

मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग से प्रोफेशनल डिग्री पा सकते हैं छात्र

सैनिकों के पीछे हटने के बाद अब भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता

2024 US Elections: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग, किसका पलड़ा भारी

डबल इंजन की सरकारें छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश को तेजी से लेकर जा रही विकास की राह पर: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मजबूत हुई अयोध्या की अर्थव्यवस्था

अगला लेख