#sachinpilot: कांग्रेस में भारी अतीत का साया, भवि‍ष्‍य की वि‍दाई

नवीन रांगियाल
मध्‍यप्रदेश से सिंधि‍या और राजस्‍थान से पायलट की वि‍दाई राहुल गांधी के पॉ‍लि‍टि‍कल कॅरि‍यर पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती नजर आती है।

जब ज्‍योति‍रादि‍त्‍य मध्‍यप्रदेश में बागी हुए तो उन्‍हें राहुल रि‍कवर नहीं कर सके। ठीक यही अब राजस्‍थान में हुआ। नाराज सचि‍न को न राहुल मना सके और न ही प्रि‍यंका गांधी ही।

नतीजा यह हुआ कि‍ मध्‍यप्रदेश में सिंधि‍या जैसे नेता के साथ सरकार भी गई और राजस्‍थान में सचि‍न पायलट जैसे काबिल नेता भी।

बदले में कांग्रेस को मि‍ले अतीत के नेताओं की छाया, क्‍योंकि भवि‍ष्‍य के नेताओं की एक-एक कर वि‍दाई हो रही है।

मि‍लिंद देवड़ा जैसे नेता पहले से ही साइडलाइन है, वे कांग्रेस में होकर भी हॉफ कांग्रेसी नजर आते हैं। हाल ही में जब राहुल गांधी के ऑफि‍स से कॉल कर के उन्‍हें सचिन पायलट से बात करने के लि‍ए कहा गया तो उन्‍होंने यह कहकर मना कर दि‍या कि‍ राहुल ही उनसे बात करें।

भवि‍ष्य के इन नेताओं की वि‍दाई के साथ ही राहुल गांधी के राजनीति‍क करि‍यर पर भी प्रश्‍नचि‍न्‍ह उभर आता है। यह इसलि‍ए अहम हो जाता है, क्‍योंकि ज्‍योतिरादि‍त्‍य सिंधि‍या से लेकर सचि‍न पायलट तक युवा नेता राहुल गांधी की ब्रि‍गेड मानी जाती रही है। अगर राहुल गांधी इन्‍हें जाने से रोक नहीं पाए तो इसका मतलब निकाला जा सकता है पार्टी में राहुल की नाकामी और वेटेज कम होना।

दूसरी तरफ करीब 70 साल पुरानी कांग्रेस पर आज भी अतीत हावी है। सचिन के बागी होने पर शुरू हुए पॉलि‍टि‍कल ड्रामे में पार्टी ने उनकी बजाए अशोक गहलोत जैसे पुराने नेता को चुना।

यानी यह फरमान सोनि‍या गांधी की तरफ से आया होगा और सोनि‍या गांधी को उनके आसपास दरख्‍तों की तरह ठहरे हुए अतीत के नेता ही सच की रोशनी को अवरोधित कर रहे होंगे।

जाहिर है कांग्रेस में अब भी अतीत के नेताओं का साया पार्टी को दि‍शा देने का काम करता है और यह साया इतना गहरा है कि वो राहुल गांधी के भवि‍ष्‍य को धुंधला करता जा रहा है।

पहले ज्‍योति‍रादि‍त्‍य और अब सचि‍न की वि‍दाई राहुल गांधी की कमजोर होती राजनीति‍क ताकत का एक ही एक हिस्‍सा है।

आपको याद होगा पि‍छले चुनावों के दौरान राहुल गांधी की एक तस्‍वीर बहुत लोकप्रि‍य हुई थी, जि‍सने खुद उन्‍होंने अपने ट्वि‍टर अकांउट से शेयर कि‍या था।

इस तस्‍वीर में राहुल गांधी के राइट हैंड पर ज्‍योति‍रा‍दि‍त्‍य सिंधिया और दूसरी तरफ मप्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ खड़े हैं। राहुल ने इस तस्‍वीर के कैप्‍शन में लिखा था,

The two most powerful warriors are patience and time. - Leo Tolstoy

लि‍यो तोल्‍स्‍ताय की इस पंक्‍ति‍ का उपयोग राहुल ने मध्‍यप्रदेश में मुख्‍यमंत्री पद के लिए उठे वि‍वाद को वि‍राम देने के लिए किया था। उन्‍होंने समय और धैर्य का उदाहरण देते हुए बातों ही बातों में ज्‍योति‍रादि‍त्‍य और कमलनाथ को संदेश दि‍या था।

राहुल की ठीक एक ऐसी ही दूसरी तस्‍वीर में एक तरफ सचि‍न पायलट और दूसरी तरफ राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत खड़े हैं।

इन तस्‍वीरों को देखने के लिए राहुल गांधी के ट्वि‍टर हैंडल पर बहुत ज्‍यादा स्‍क्रोल करने की जरुरत नहीं है। 13 दि‍संबर 2018 की यह तस्‍वीर है। दि‍लचस्‍प यह है कि मध्‍यप्रदेश में कमलनाथ और दि‍ग्‍व‍िजय सिंह सिंधि‍या को भाजपा में छोड़ आए और अब राजस्‍थान में अशोक गहलोत की वजह से कांग्रेस ने सचि‍न को ऑलमोस्‍ट खो दि‍या है।

यानी कांग्रेस में पुराने नेताओं की जड़ें केंद्र से लेकर राज्‍यों तक बेहद मजबूती के साथ पसरी हुई हैं। कांग्रेस की यही जड़ें राहुल गांधी और उनके भवि‍ष्‍य के नेताओं की तकदीर को लगातार धुंधली करती जा रही है।

इन वटवृक्षों के तले चाह कर भी नहीं पनप पा रहा है कांग्रेस में युवा नेताओं का भवि‍ष्‍य। इस सारे घटनाक्रम पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं कांग्रेस, राहुल और प्रियंका के भवि‍ष्‍य पर। क्या सोनिया गांधी अब तक समझ नहीं पा रही हैं कि युवा ही अब कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकते हैं थके-उम्रदराज चालाक क्षत्रप नहीं।

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