हाईकोर्ट में अपील, सचिन तेंदुलकर से वापस लिया जाए भारत रत्न

Webdunia
शुक्रवार, 19 जून 2015 (09:19 IST)
जबलपुर।   हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर सचिन तेंदुलकर से  देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न वापस लेने की मांग की गई है। इस याचिका  को मंजूर करते हुए प्रारंभिक सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश एएम खानविलकर  और जस्टिस केके त्रिवेदी की खंडपीठ ने असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऐसे मामलों  में गाइड लाइन बताने को कहा है। 
खंडपीठ ने पूछा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे किसी मामले में कोई आदेश जारी  किए हैं। मामले पर अगली सुनवाई 23 जून को होगी। खबरों के अनुसार भोपाल  के वीके नसवा ने याचिका दायर कर आरोप लगाया कि भारत रत्न अवॉर्ड प्राप्त  करने के बाद भी सचिन बड़ी-बड़ी कंपनियों के विज्ञापन कर उनके उत्पादों की  ब्रांडिंग करते हैं। 
 
इससे देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान की गरिमा और प्रतिष्ठा धूमिल होती है।  याचिका में कहा गया कि सचिन को खेल के क्षेत्र में यह सम्मान दिया गया है,  लेकिन वे विभिन्न व्यावसायिक कंपनियों के ब्रांड एंबेसडर बने हुए हैं। याचिका में  कहा गया है कि कुल 41 भारत रत्न पाने वाली हस्तियों में से केवल सचिन ही  व्यावसायिक लाभ पाने विज्ञापन करते हैं, जो गलत है। (एजेंसियां)

Show comments

जरूर पढ़ें

Mahakumbh Stampede : महाकुंभ हादसे पर भावुक हुए CM योगी, गला रुंधा, छलके आंसू, मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख का ऐलान

Mahakumbh Stampede : महाकुंभ भगदड़ में 30 लोगों की मौत, 60 घायल, क्या किसी की साजिश, जांच में होगा खुलासा

Deepseek ने क्यों मचाई शेयर मार्केट में खलबली? ये AI दे रहा है Chatgpt, Google Gemini को टक्कर

श्रद्धालु 10 किलोमीटर पैदल चल रहे, रसूखदार दिखा रहे रुतबा, ये कैसी व्‍यवस्‍था, VIP कल्‍चर पर भड़के शंकराचार्य

मोदी ने लगाया कांग्रेस और आप पर 2 - 2 पीढ़ी को बर्बाद करने का आरोप, की कमल को वोट देने की अपील

सभी देखें

नवीनतम

हेलीकॉप्टर से टकराकर नदी में गिरा छोटा विमान, अमेरिका में बड़ा हादसा

Weather Update: पूर्वोत्तर भारत में ओलावृष्टि की संभावना, पश्चिमी हिमालय में बर्फबारी, जानें मौसम का ताजा हाल

निज्जर की हत्या में भारत का कोई हाथ नहीं, कनाडाई जांच आयोग की रिपोर्ट से ट्रूडो को बड़ा झटका

LIVE: महाकुंभ में भगदड़ पर एक्शन में सरकार, आज प्रयागराज में CS और DGP

हरियाणा में 600 अस्पतालों ने आयुष्मान भारत को क्यों कहा ना?