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सम्राट विक्रमादित्य ने देश के लिए अपने संबंधियों को भी नहीं छोड़ा, पेश की न्यायप्रियता की मिसाल, देखें अद्भुत-अकल्पनीय महानाट्य

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हमें फॉलो करें Samrat Vikramaditya Mahanatya
भोपाल/ नई दिल्ली , सोमवार, 14 अप्रैल 2025 (22:05 IST)
  • सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का तीसरा और अंतिम दिन
  • सैकड़ों दर्शकों ने ली प्रेम, वीरता, विनम्रता, संघर्ष, देशप्रेम की प्रेरणा
  • मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दर्शकों को सुनाई पराक्रमी राजा की कहानी
Samrat Vikramaditya Mahanatya : अद्भुत-अकल्पनीय-रोमांचक... 250 कलाकार जब सम्राट विक्रमादित्य का जीवन जीवंत करने मंच पर उतरे तो पूरा कार्यक्रम स्थल आश्चर्य में डूब गया। तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा माधवदास पार्क गूंज उठा। दर्शकों को यकीन ही नहीं हुआ कि डिजीटल मूवी और रील्स के इस युग में इस तरह का कोई कार्यक्रम भी हो सकता है। दर्शक टकटकी लगाए पूरे नाटक को देखते रहे। दर्शकों ने महानाट्य से प्रेम, दयाशीलता, वीरता, साहस, विनम्रता, संघर्ष, देशप्रेम की प्रेरणा ली। मौका था नई दिल्ली के लालकिले में आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का। 14 अप्रैल को महानाट्य का तीसरा और अंतिम दिन था।

इस मौके पर दर्शकों ने एक तरफ सम्राट विक्रमादित्य के जीवन से जुड़ी प्रदर्शियां देखीं, तो दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के व्यंजनों का भी आनंद लिया।  कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ-साथ उप-सभापति, राज्यसभा हरिवंश सिंह, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, सांसद सुधांशु त्रिवेदी, मंत्री कुंवर विजय शाह, मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, अचलानंद महाराज उपस्थित थे।

उप-सभापति, राज्यसभा हरिवंश सिंह ने कहा कि सबसे पहले मैं मध्यप्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इस इतिहास के प्रेरक प्रसंगों को पुनः भारत के सामने लाने के लिए बधाई देना चाहता हूं। इतिहास में इतिहासकारों की मान्यता है कि अतीत को जितना पीछे देख सकें, उतना देखें। उसके प्रेरक प्रसंगों से भविष्य गढ़ने की ताकत-ऊर्जा मिलती है। इसलिए इस अनोखे आयोजन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का सम्राट विक्रमादित्य से वर्षों से भावनात्मक लगाव है।
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यह दौर भारत के पुनर्जागरण का अद्भुत दौर है। हमें ये बताने की जरूरत नहीं कि सम्राट विक्रमादित्य ने कैसे आक्रांताओं को पराजित किया। किस रूप में हमारे यहां विक्रम संवत की शुरुआत हुई। यह महज नया वर्ष नहीं था, बल्कि भारत की गरिमा को, भारत के साहस को, भारत की चेतना को जाग्रत करने का पल था। हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि यही समय है, सही समय है। यह विश्व में भारत का समय है। साल 2014 के बाद जिस तरह से भारत के पुनर्जागरण का दौर चल रहा है, उसे दुनिया पहचान रही है।

आज विदेशी राजदूत इस बात पर पुस्तक लिख रहे हैं कि पश्चिम भारत से क्या सीखे। भारत लोकतंत्र की जननी रहा है। जानेमाने इतिहासकार ने लिखा है कि भारत का हजार बरसों का इतिहास दुनिया का इतिहास रहा है। हमारे अतीत को नेपथ्य में डाला गया। विदेशियों तक ने कहा कि भारत अपने अतीत पर गर्व क्यों नहीं करता। इसलिए इस तरह के आयोजन के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव को बधाई।
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मुख्यमंत्री  डॉ. मोहन यादव बाेेले-  लौट रहा है सम्राट विक्रमादित्य का युग
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि लाल किले की प्राचीर पर सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन अद्भुत है। आज महानाट्य का अंतिम दिन है। मैं मध्यप्रदेश सरकार की ओर से दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को बधाई देना चाहूंगा। वे कार्यक्रम की स्वागताध्यक्ष भी हैं और यहां की आयोजक भी हैं। वे हमें लगातार प्रेरणा भी दे रही हैं।
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लाल किले की प्राचीर तले जो महानाट्य का मंचन हो रहा है यह एक तरह से सम्राट विक्रमादित्य के युग का पुनः प्रकटीकरण है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरासत के विकास की बात कर रहे हैं। उनके कार्यकाल को सुशासन के रूप में जाना जाता है। ठीक वैसे ही, जब न्यायप्रियता की बात होती है, वीरता की बात होती है, विनम्रता की बात होती है, दानशीलता की बात होती है, तब-तब हमको सदैव हमें सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन का दौर याद आता है।

भारत में युगों-युगों से है लोकतंत्र
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि कलाकारों सम्राट विक्रमादित्य के महानाट्य के माध्यम से उनके जीवन के विविध पक्षों को, उनके युग को जीवंत कर दिया। सच्चे अर्थों में 5 हजार साल के इतिहास में हमारे पास ऐसे कई प्रमाण मिलते हैं, जिनसे पता चलता है कि हमारे देश में लोकतंत्र युगों-युगों से है। महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने भी लोकराज्य की स्थापना की। उसी तरह 2 हजार साल पहले सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल था। उन्होंने भी अपने आप को राजा, सम्राट कहलवाना पसंद नहीं किया। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं को प्रधान सेवक कहलवाते हैं। ये हमारे शासकों की महान उदारता दर्शाता है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सुनाई ये कहानी
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि इस महानाट्य में कलाकारों ने अद्भुत संकल्पना प्रदर्शित की है। इस महानाट्य के मंचन से कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रमाण पेश किए। जब सम्राट विक्रमादित्य अपनी पत्नी के भाइयों को बंदी बनाकर लाते हैं, तब उनकी पत्नी कहती है मेरे भाइयों का अपराध क्षमा कर दो, लेकिन उस वक्त भी सम्राट विक्रमादित्य ने न्यायप्रियता नहीं छोड़ी। वे पत्नी से कहते हैं कि मेरे लिए पहले देश है, इसलिए अपराधी को क्षमा नहीं कर सकते। उसी वक्त वे न्याय करते हैं। वे अपराधियों को दंडित करते हैं। वीरता, दानशीलता, चोरों का जीवन बदलना, उनकी बत्तीस पुतलियों की घटना, बेताल पच्चीसी की घटना, उनकी सभी कहानियां प्रेरणादायक हैं।
Edited By : Chetan Gour

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