कोरोनावायरस के दौरान इलाज में आम आदमी को होने वाले आर्थिक तंगी को ध्यान में रखते हुए स्टेट बैंक (SBI) ने 'कवच पर्सनल लोन' नामक स्कीम जारी की है। इस योजना में 5 लाख रुपए तक का लोन लिया जा सकता है। दूसरी ओर, इंश्योरेंस कंपनियों ने भी कोरोना स्पेशल पॉलिसियां भी जारी की हैं।
बैंक की इस योजना में सबसे खास बात यह है कि आवेदक को कवच पर्सनल लोन लेने के लिए किसी भी तरह का असेट जमा नहीं करना होगा। इस योजना के लिए कम से कम 25 हजार का लोन लिया जा सकता है। लोन की ब्याज दर 8.5 फीसदी है। इसमें अधिकतम लोन 5 लाख रुपए तक लिया जा सकता है। इसमें तीन महीने का मोरेटोरियम भी शामिल है।
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारी के मुताबिक आम भारतीय इस सुविधा का लाभ लेकर अपना और अपने परिवार का कोरोना इलाज कराने में सक्षम होगा। कोरोना के चलते जिन लोगों का व्यवसाय ठप है या नौकरी-रोजगार का धक्का लगा है, वे इस लोन स्कीम का फायदा उठा सकते हैं।
इंश्योरेंस का कोरोना कवच : दूसरी ओर, सरकारी एवं निजी इंश्योरेंस कंपनियों ने भी कोरोना के इलाज के लिए पॉलिसियां जारी की हुई हैं। हालांकि ऐसा भी कहा जा रहा है कि निजी इंश्योरेंस कंपनियां ज्यादा क्लेम आने के चलते इस तरह की पॉलिसियों से बच रही हैं। वहीं, पिछले दिनों ओरियंटल इंश्योरेंस ने कंपनी ने भी दो पॉलिसियां जारी की थीं।
ओरियंटल के इंदौर डीओ-2 में पदस्थ डिप्टी मैनेजर (मार्केटिंग) अनिल गौड़ ने वेदुनिया से बातचीत करते हुए बताया कि कंपनी कोरोना रक्षक पॉलिसी बंद कर दी है, जबकि कोरोना कवच पॉलिसी लोगों को दी जा रही है। यह 3, 6 और साढ़े 9 महीने के लिए ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह पॉलिसी हर बार नए सिरे से लेनी होती है। अर्थात इसका नवीनीकरण नहीं होता।
गौड़ कहते हैं कि कोरोना पॉलिसियों में क्लेम रेशो बहुत ज्यादा है। इसलिए जिन ब्रांचों में क्लेम ज्यादा आ रहे हैं वहां जरूर पॉलिसी देने में सावधानी बरती जा रही है। हालांकि कंपनी लोगों को पॉलिसी आसानी से उपलब्ध करवा रही है। इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जाता है कि पॉलिसी होल्डर को क्लेम लेने में आसानी हो।
केनरा बैंक की स्कीम : इससे पहले केनरा बैंक ने भी राहत देने के लिए एक स्कीम जारी की थी। इसके तहत हेल्थकेयर क्रेडिट, बिजनेस और पर्सनल लोन देने की व्यवस्था है। हेल्थकेयर क्रेडिट फैसलिटी में में 10 लाख से लेकर 50 करोड़ रुपए का लोन उपलब्ध करवाने की योजना है। यह लोन रजिस्टर्ड हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, मेडिकल प्रैक्टिसनर, डायग्नोस्टिक सेंटर्स, पैथोलोज लैब और हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर में लगे संस्थानों को दिया जाएगा। इस योजना में कर चुकाने की अवधि 10 साल है, जबकि 18 महीने का मोरटोरियम रखा गया है।