Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भंवरी देवी सहित देशभर से आईं हजारों यौन पीड़िताओं ने की आवाज बुलंद, मार्च निकाला

हमें फॉलो करें भंवरी देवी सहित देशभर से आईं हजारों यौन पीड़िताओं ने की आवाज बुलंद, मार्च निकाला
, शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019 (23:52 IST)
नई दिल्ली। भारत में यौन उत्पीड़न की शिकार रहीं हजारों पीड़िताएं न्याय मांगने और अन्य पीड़िताओं के प्रति समर्थन जताने के लिए पहली बार राष्ट्रीय राजधानी जुटीं।

इस तरह की हिंसा को रोकने की मांग करते हुए देशभर से आईं इन पीड़िताओं ने यहां शुक्रवार को प्रतिष्ठा मार्च में हिस्सा लिया। यह पहली बार है, जब यौन उत्पीड़न की शिकार पीड़िताएं इस तरह से सामूहिक रूप से एकजुट हुईं।
 
यौन उत्पीड़न के इन पीड़ितों में महिलाएं और बच्चे भी थे, जो अपने-अपने जीवन में यौन उत्पीड़न को झेल चुके हैं। देश के करीब 24 राज्यों से करीब 200 से अधिक जिलों से आईं ये पीड़िताएं 20 दिसंबर को मुंबई से अपनी यात्रा शुरू करते हुए 1,000 किलोमीटर का रास्ता तय कर दिल्ली पहुंचीं।

इनमें से एक पीड़ित 56 वर्षीय भंवरी देवी भी थीं। 25 साल पहले सामूहिक बलात्कार और हिंसा की शिकार हुईं भंवरी देवी को अब भी न्याय का इंतजार है। उन्होंने कहा कि वे इसके लिए लड़ाई जारी रखेंगी।
 
देश के पहले अखिल भारतीय नेटवर्क 'द नेशनल नेटवर्क ऑफ सरवाईवर्स' ने भारत के 25 राज्यों और 250 जिलों से आईं 25,000 से अधिक पीड़िताओं और उनके परिजन के इस मार्च का जिम्मा संभाला और उनका मार्गदर्शन किया। पीड़िताओं के अलावा इस मार्च में देशभर से 2,000 पक्षकारों, 200 नीति निर्माता और 2,000 वकीलों ने हिस्सा लिया। रामलीला मैदान में इसका समापन हुआ।
 
नाराजभरे भाव में भंवरी देवी ने कहा कि मैं चुप नहीं रहूंगी। जब तक न्याय नहीं मिलता तब तक अपनी आखिरी सांस तक मैं लड़ती रहूंगी। भंवरी देवी मामले के बाद कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए विशाखा दिशा-निर्देश बनाया गया था।
 
'राष्ट्रीय ग्रामीण अभियान, डिग्निटी मार्च' के संयोजक आशिफ शेख ने कहा कि जब यह मार्च शुरू हुआ तब उनका उद्देश्य बच्चों और महिलाओं को प्रोत्साहित करना था कि वे बिना शर्म और झिझक के यौन उत्पीड़न के अपने अनुभवों के बारे में बात कर सकें और पीड़ितों को शर्मिंदा करने की संस्कृति को खत्म करें। 
 
उन्होंने पत्रकारों को बताया कि यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ जहां बलात्कार के खिलाफ व्यापक गुस्सा है वहीं लाखों पीड़ित मुख्यत: बच्चे व्यावसायिक यौन शोषण और समुदाय आधारित वेश्यावृत्ति के मामलों में फंसते हैं। समाज कहता है कि उन्हें इसके लिए पैसे मिलते हैं इसलिए यह बलात्कार नहीं है लेकिन यह लगातार बलात्कार और घृणित अपराध का मामला है।

अपने साथ हुए खौफनाक हादसे को याद करते हुए उज्जैन से आई पीड़िता ने कहा कि नौकरी दिलाने के नाम पर उसकी मानव तस्करी की गई और बलात्कार किया गया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्रीलंका के पास दक्षिण अफ्रीका में उसी के घर में हराकर इतिहास रचने का मौका