मां फायरिंग शुरू हो गई है, चलो अभी मैं फोन रखता हूं, मैं बाद में तुमसे बात करूंगा...
मां और बेटे के बीच यह आखिरी कॉल था, इसके बाद वे अब कभी भी बात नहीं कर सकेंगे। क्योंकि बेटा देश की रक्षा और सेवा करते हुए शहीद हो गया। अब वो सिर्फ स्मृति में जिंदा रहेगा। अपनी मां और भारत माता के इतिहास में जिंदा रहेगा।
दरअसल, देश की रक्षा के लिए शहादत देने वाले पिथौराढ़ के जवान शंकर सिंह महरा की अपनी मां से फोन पर हुई बात का यह अंतिम हिस्सा था। जब वह मां के साथ फोन पर था तो गोलियों के चलने की आवाजें आने लगी थी।
बेटे की इस शहीदी के बाद मां बदहवास है और पत्नी भी अचेत हो गई है।
जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी में गंगोलीहाट तहसील के नाली गांव के नायक शंकर सिंह महरा के शहीद होने से उनका यह पूरा इलाका शोक में है। पिता और पूर्व सैनिक की आंखों में भी पानी है। शहीद का 5 साल का मासूम बेटा गुमसुम है।
शंकर सिंह के शहीद होने के बाद मीडिया में उनके बारे में जानकारी आ रही है। 21 कुमाऊं रेजिमेंट में तैनात नायक शंकर सिंह महरा का पूरा परिवार ही सेना में था। पिता मोहन सिंह सेना से रिटायर्ड हो चुके हैं। छोटा भाई नवीन सिंह भी सेना के राष्ट्रीय रायफल में है। वो फिलहाल जम्मू कश्मीर में तैनात है और अपने शहीद भाई के पार्थिव शरीर के साथ घर आ रहा है।
शंकर सिंह महरा 11 साल से सेना में थे। वे 21 कुमाऊं रेजिमेंट में नायक पद जम्मू कश्मीर में तैनात थे। करीब 7 साल पहले शादी हुई थी। उनका 5 साल का एक बेटा है।
शहीद शंकर सिंह जनवरी में छुट्टी पर घर आए थे। एक माह की छुट्टी पूरी करने के बाद ही फरवरी में यूनिट लौट गए थे। शहीद का पार्थिव शरीर रविवार को पैतृक गांव पहुंचेगा।