नई दिल्ली। शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को गुरुवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का महाराष्ट्र के राज्यपाल का निर्देश दुर्भावनापूर्ण, असंवैधानिक और अवैध है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष उस याचिका का उल्लेख किया गया जिसमें राज्यपाल के निर्देश को चुनौती दी गई है। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर गौर किया कि मामले में तत्काल सुनवाई की जरूरत है। इस मामले की सुनवाई शाम पांच बजे से होनी है।
याचिका में दलील दी गई है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 28 जून, 2022 (जो आज यानी 29 जून को सुबह करीब नौ बजे मिला) के पत्र के जरिए इस तथ्य की पूरी अवहेलना करते हुए शक्ति परीक्षण कराने का फैसला किया कि यह अदालत कुछ विधायकों की अयोग्यता संबंधी कार्यवाही के मुद्दे पर विचार कर रही है।
याचिका में यह भी दलील दी गई है, इस तरह की अनुचित जल्दबाजी स्पष्ट रूप से मनमानी और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। याचिका में राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री के साथ ही विधानसभा के सचिव को भेजे गए निर्देश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
शिवसेना की याचिका में कहा गया है कि यह न्यायालय विधायकों की अयोग्यता संबंधी कार्यवाही की वैधता पर गौर कर रहा है और मामले में 11 जुलाई, 2022 को सुनवाई होनी है। अयोग्यता का मुद्दा शक्ति परीक्षण के मुद्दे से सीधे तौर पर जुड़ा है।
प्रभु ने अपनी याचिका में दलील दी कि मुख्यमंत्री नीत मंत्रिपरिषद के परामर्श और सलाह के बिना ऐसे निर्देश जारी नहीं किए जाने चाहिए थे।(भाषा)