कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले दिन-प्रतिदिन के राजनीतिक घटनाक्रमों की कड़ी में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेन्दु अधिकारी के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में शनिवार को भाजपा में शामिल होने की संभावना है, जिससे राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ आना निश्चित है।
सूत्रों के मुताबिक अधिकारी का गुरुवार को दिल्ली जाने और भाजपा के केंद्रीय नेताओं के साथ बैठक का कार्यक्रम रद्द हो गया है और अब वह मिदनापुर जिले में शनिवार को शाह की रैली के दौरान भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
राज्य मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने के पखवाड़े भर बाद अधिकारी ने बुधवार को विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस को एक व्यक्ति का संगठन करार देते हुए कहा कि पार्टी में एक साथ मिलकर काम करना अब मुश्किल हो गया है।
ममता की दो टूक : इस बीच तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अधिकारी के इस बगावती कदम पर दो टूक प्रतिक्रिया दी और कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं पार्टी सांसद सौगत रॉय ने भी तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी का बगावती रुख मुख्यमंत्री पद पाने की मंशा से प्रेरित है और वह इसी पर नजरें गड़ाए हुए हैं।
राय ने कहा कि उनकी विचारधारा के बारे में कुछ नहीं कहना है। वह उपमुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। मैं नहीं जानता कि भाजपा ने उन्हें कैसी पेशकश की है।
भाजपा ने किया स्वागत : दूसरी तरफ भाजपा ने अधिकारी के विधायक पद से इस्तीफे का स्वागत किया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि हम उनके फैसले का स्वागत करते हैं। निकट भविष्य में तृणमूल कांग्रेस की और भी शख्सियतें भाजपा में शामिल होंगी।
अधिकारी ने विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी को अपना इस्तीफा सौंपा था और इसे तत्काल मंजूर करने का भी आग्रह किया था। बनर्जी ने हालांकि कहा है कि वह इस संबंध में विधिसम्मत निर्णय लेंगे।
अधिकारी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी पत्र लिखकर आपराधिक मामलों पर कार्रवाई की आड़ में पुलिस ज्यादती के साथ राजनीति बदला लिए जाने की आशंका जताई है और उनसे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने अधिकारी से कहा है कि वह समय पर अपना निर्णय लेंगे।
तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने अधिकारी के पार्टी छोड़ने को 'उनसे निजात पाना' करार दिया है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा- संकटों से लदे एक पशु को पालने से तो बेहतर है कि पशुओं का आश्रय खाली रहे।