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Student burnt teacher: शहर की स्‍वच्‍छता के साथ दीमक की तरह समाज को चाट रही मानसिकता की सफाई भी जरूरी

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नवीन रांगियाल

फोटो : सोशल मीडिया
एक तरफ हम 5जी तकनीक में प्रवेश कर रहे हैं। दुनिया बेहद तेजी से आगे बढ़ रही है। अपनी सपनों को साकार करने के लिए इस दौर में हर तरह के साधन और तकनीक उपलब्‍ध हैं। ठीक इसी दौर में एक स्‍टूडेंट का अपनी टीचर को सिर्फ इसलिए पेट्रोल डालकर सरेआम जला देना, क्‍योंकि टीचर ने उसे फेल कर दिया था यह इस समाज के एक विभत्‍स चेहरे की तरफ इशारा करता है।

शिक्षक और छात्र के बीच गुरु-शिष्‍य का रिश्‍ता होता है। कई बार शिक्षक अपने छात्र को सिखाने के लिए और उसे भविष्‍य के लिए तैयार करने के लिए तरह तरह के तरीके अपनाता है, जिसे छात्र के लिए समझना मुश्‍किल है। ऐसे में छात्र अपने शिक्षक के बर्ताव को अपने लिए नकारात्‍मक तरीके से ले सकता है, जिसका अर्थ शायद उसे कुछ समय के बाद समझ में आता है, लेकिन कोई भी छात्र अपनी प्रिंसीपल को आग में फूंक देने का कृत्‍य नहीं कर सकता। यह साफतौर से उसकी विभत्‍स और अपराधिक मानसिकता को दर्शाता है।

यह घटना सोमवार को इंदौर से सटे और कुछ किलोमीटर की दूरी पर बसे सिमरोल की है। उसी इंदौर के पास जिसकी सफाई का चर्चा इन दिनों पूरे देश में है। यह शहर सफाई में एक-दो बार नहीं, बल्‍कि 6 बार अव्‍वल आ चुका है। इंदौर के बढ़ते मेट्रो कल्‍चर और इसके आधुनिकरण के देश के कई शहरों में मिसालें दी जाती हैं। ऐसे शहर में ऐसी घटनाएं न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार कर रही हैं बल्‍कि दिमाग में जमी गंदगी और विभत्‍सता की तरफ भी इशारा कर रही हैं।

सिमरोल में नागदा के रहने वाले पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव ने पेट्रोल डालकर फार्मेसी डिपार्टमेंट की प्रिंसीपल विमुक्ता शर्मा को जला दिया। प्रिंसीपल विमुक्‍ता शर्मा करीब 80 फीसदी जल गईं। जबकि केरोसिन डालकर जलाने के प्रयास में आशुतोष भी 20 प्रतिशत झुलस गया है। घटना के बाद उसे हिरासत में लिया गया है। विमुक्‍ता शर्मा सिमरोल के बीएम कॉलेज की प्रिंसीपल हैं। बताया जा रहा है कि छात्र आशुतोष श्रीवास्‍तव इसी कॉलेज था। खबरों के अनुसार कोरोनाकाल के समय आशुतोष को फेल कर दिया गया था। इससे वह काफी गुस्से में था।

यह भी कहा जा रहा है कि आरोपी आशुतोष 7वें सेमेस्टर में फेल हो गया था। बाद में उसने सातवें और आठवें सेमेस्टर दोनों की परीक्षा साथ में दी। इसका रिजल्‍ट जुलाई 2022 में आया था, लेकिन बार-बार कालेज जाने के बाद भी उसे मार्कशीट नहीं दी जा रही थी। वो इस बात को लेकर गुस्से में था। हालांकि किसी की ऐसी विभत्‍स हत्‍या के लिए भी कोई कारण जायज नहीं है।

आधुनिक होते समाज में अपराध की ऐसी घटनाएं कहीं न कहीं आदमी के भीतर पल रही विभत्‍स मानसिकता की आहट भी दे रही है। एक तरफ हम लगातार प्रगति कर रहे हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नही है, जिसमें हम झंडे नहीं गाढ़ रहे हैं, लेकिन आए दिन लड़कियों को छेड़ने, गैंग रेप की घटनाएं, संतानों द्वारा मां या पिता की हत्‍या कर देना न सिर्फ हैरान करने वाला है बल्‍कि हमारे अंदर घर रही मानसिक बीमारी और असंतुलन की कहानी बयां कर रही है। जिस तरह से शहर को साफ करने के लिए अभियान चलाया गया, ठीक वैसे ही दीमक की तरह चाटकर समाज को विभत्‍स कर रही मानसिकता की सफाई भी उतनी ही जरूरी है।

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