अयोध्या। राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए कई दशक तक चले लंबे कानूनी विवाद का देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने विवादित जमीन रामलला के पक्ष में दी है। राम मंदिर विवाद से जुड़े अधिवक्ताओं का कारसेवकपुरम में 23 नवंबर को अभिनंदन भी किया जाएगा।
इस अभिनंदन कार्यक्रम में जन्मभूमि पर हिंदू भक्तों को दर्शन-पूजन की समुचित सुविधा उपलब्ध कराने, रामभक्तों को मूलभूत सुविधाएं बहाल कराने की मांग करने वाले तथा इस मामले में डे टू डे सुनवाई की नींव रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी भी शामिल होंगे।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के बाद कारसेवकपुरम में एक विशाल सम्मान व अभिनंदन समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट से लेकर लोवर अदालत के अधिवक्ताओं को आमंत्रित किया गया है। आमंत्रित किए गए वहीं अधिवक्ता हैं, जिन्होंने हिंदू पक्ष के निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक राम के लिए लड़ाई में अपना योगदान दिया, को सम्मानित किया जाएगा।
भाजपा नेता शक्तिसिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से राम जन्मभूमि के पक्ष में जो फैसला आया है। उससे जुड़े जितने भी अधिवक्तागण हैं, चाहे वे हाईकोर्ट के हैं, सुप्रीम कोर्ट के हैं या फिर लोवर कोर्ट के, उन सभी का अयोध्या के कारसेवकपुरम में सम्मान किया जा रहा है।
कार्यक्रम के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी आएंगे। सुप्रीम कोर्ट में मामले के डे टू डे सुनवाई में स्वामी का बहुत बड़ा रोल रहा है। अभी तक राम मंदिर विवाद से जुड़े 100 अधिवक्ताओं के अभिनंदन का खाका तैयार किया गया है। विवाद में हिंदू पक्ष से जुड़े अधिवक्ता और स्वामी रामलला का दर्शन-पूजन भी करेंगे।