गुरुवार सुबह दिल्ली पुलिस के 55 वर्षीय एसीपी प्रेम बल्लभ की आत्महत्या की खबर ने पूरे विभाग में हड़कंप मच गया। प्रेम बल्लभ ने हेडक्वार्टर की दसवीं मंजिल से छलांग लगा दी। इस घटना से दिल्ली विभाग सन्न है। पुलिस मेडल से पुरस्कृत प्रेम बल्लभ ने क्यों आखिर क्यों ऐसा कदम उठाना पड़ा। यह पहली घटना नहीं है। पिछले दिनों देश के कई हिस्सों से सिपाहियों से लेकर उच्चाधिकारियों के तक आत्महत्या करने की खबरें सामने आई हैं।
बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों अपराध से समाज की रक्षा करने वाले देश के सेवक ऐसा भयानक कदम उठा रहे हैं।
रिपोर्ट में चौकाने वाले आंकड़े : मार्च 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक रिपोर्ट की मानें तो पिछले 6 सालों में 700 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल कर्मियों ने आत्महत्या की। जून 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में 40 से अधिक दिल्ली पुलिस कर्मियों ने आत्महत्या की।
सिपाही से लेकर आईपीएस अधिकारी तक : 12 मई 2018 को महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व चीफ हिमांशु रॉय ने आत्महत्या कर ली थी। 5 सितंबर 2018 को यूपी के कानुपर शहर में एसपी पूर्वी पद पर तैनात 2014 बैच के आईपीएस सुरेंद्र दास ने सरकारी आवास में जहरीला पदार्थ खा लिया था। इलाज के बाद उनकी मौत हो गई। पिछले वर्ष बिहार के बक्सर जिले के डीएम मुकेश पांडे ने भी अपनी जिंदगी खत्म कर ली थी। उन्होंने भी पत्नी से विवाद के बाद ऐसा कदम उठाया था। उनके पास से पुलिस ने दो सुसाइड नोट बरामद किए थे।
उत्तरप्रदेश पुलिस के एएसपी राजेश साहनी के आत्महत्या कर लेने के बाद आलमबाग में एक दरोगा ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इसके पहले भी कई दरोगा, सिपाही और यहां तक की यूपी पुलिस के उच्च अधिकारी तक मौत को गले लगा चुके हैं।
30 अक्टूबर 2018 को दिल्ली पुलिस के हैड कांस्टेबल ज्ञानेंद्र राठी ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। 29 मई 2018 को उत्तर प्रदेश पुलिस के पीपीएस अधिकारी और उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता (यूपी एटीएस) में अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात राजेश साहनी ने अज्ञात कारणों से अपने कार्यालय में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
कर्नाटक में डीएसपी ने की थीआत्महत्या : 6 जुलाई 2016 को कर्नाटक के बेलगावी शहर में पुलिस के डीसीपी के कथित आत्महत्या के बाद 8 जुलाई 2016 को उसी रैंक के एक अन्य अधिकारी ने राज्य के कोडागू जिले में आत्महत्या कर ली।
क्या ये हो सकते हैं कारण : कई मामलों में सामने आया है कि पुलिस अधिकारी और कर्मी राजनेताओं और अधिकारियों के दबाव में काम करने चलते ऐसे भयानक कदम उठा लेते हैं। उन्हें दबाव में कभी-कभी अपनी ड्यूटी से और अपने ईमान से समझौता करना पड़ता है। कुछ इसे सहन नहीं कर पाते और या तो वे नौकरी छोड़ देते हैं या फिर अपने जीवन का अंत कर लेते हैं।