Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

NEET Paper Leak : सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा- दोबारा परीक्षा के गंभीर होंगे परिणाम

हमें फॉलो करें Supreme court

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , शुक्रवार, 26 जुलाई 2024 (00:07 IST)
Supreme Court dismisses pleas seeking re-examination : उच्चतम न्यायालय ने प्रश्न पत्र लीक और अन्य गड़बड़ियों के आधार पर दोबारा परीक्षा कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नीट-यूजी, 2024 के पूरे परिणाम में गड़बड़ी हुई थी और परीक्षा की शुचिता में प्रणालीगत उल्लंघन हुआ।
 
शीर्ष अदालत ने 23 जुलाई को विवादों में घिरी परीक्षा को रद्द करने और परीक्षा दोबारा कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था और आदेश बुधवार रात को अपलोड किया गया। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा लिखे गए 14 पृष्ठ के अंतरिम आदेश में कहा गया है, वर्तमान चरण में रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि परीक्षा के पूरे परिणाम में गड़बड़ी हुई है या परीक्षा की शुचिता में कोई प्रणालीगत उल्लंघन हुआ है।
 
करीब 40 याचिकाओं पर विस्तृत और तर्कपूर्ण फैसला बाद में सुनाया जाएगा। पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। न्यायालय ने कहा, शहर-वार और केंद्र-वार जो डेटा पेश किया गया है और वर्ष 2022, 2023 और 2024 के डेटा की तुलना से यह संकेत नहीं मिलता है कि प्रश्न पत्र प्रणालीगत रूप से लीक हुआ है और इससे परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है।
पीठ ने कहा कि इस वर्ष दोबारा परीक्षा कराने का आदेश परीक्षा में शामिल हुए 20 लाख से अधिक छात्रों के लिए गंभीर परिणामों से भरा होगा। आदेश में कहा गया कि इस तरह की कार्रवाई से प्रवेश कार्यक्रम में व्यवधान आएगा, पूरी प्रक्रिया कई महीनों के लिए पीछे चली जाएगी तथा इसका मेडिकल शिक्षा के पाठ्यक्रम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
 
पीठ ने कहा कि दोबारा परीक्षा का आदेश भविष्य में योग्य चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता को भी प्रभावित करेगा और हाशिए पर पड़े समुदायों तथा कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए गंभीर रूप से नुकसानदेह होगा, जिनके लिए सीटों के आवंटन में आरक्षण किया गया है। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को भौतिक विज्ञान के एक विवादास्पद प्रश्न के लिए आईआईटी दिल्ली के तीन विशेषज्ञों के पैनल द्वारा सुझाए गए उत्तर को सही मानते हुए अपनी मेरिट सूची को संशोधित करने के लिए भी कहा।
इसने इस बात की पड़ताल की कि क्या कथित उल्लंघन प्रणालीगत स्तर पर हुआ था और क्या उल्लंघन ऐसी प्रकृति का था जिससे पूरी परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता प्रभावित हुई। इसने यह भी पड़ताल की कि क्या धोखाधड़ी के लाभार्थियों को बेदाग छात्रों से अलग करना संभव है। पहले के निर्णयों के अनुसार, यदि धोखाधड़ी के लाभार्थियों को वास्तविक सफल अभ्यर्थियों से अलग करना संभव नहीं है, तो पुनः परीक्षा का आदेश दिया जा सकता है।
 
पीठ ने कहा कि उस विवाद को अंतिम रूप प्रदान करने के लिए एक अंतरिम आदेश की आवश्यकता थी, जिसने 20 लाख से अधिक छात्रों के करियर को प्रभावित किया। आदेश में कहा गया, यह तथ्य कि नीट (यूजी) 2024 का पेपर झारखंड के हजारीबाग और बिहार के पटना में लीक हुआ, विवाद का विषय नहीं है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की स्थिति रिपोर्ट का हवाला देते हुए आदेश में कहा गया है कि जांच जारी है और अब तक की जांच के दौरान सामने आए साक्ष्यों के अनुसार, हजारीबाग तथा पटना के परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने वाले लगभग 155 छात्र प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी के लाभार्थी हैं।
 
पीठ ने दोबारा परीक्षा का आदेश देने से इनकार करते हुए कहा कि वह इस बात के सुस्थापित परीक्षण से निर्देशित है कि क्या दागी छात्रों को उन छात्रों से अलग करना संभव है जो बेदाग हैं। इसने कहा, यदि जांच में वर्तमान चरण में संदिग्धों के अलावा लाभार्थियों की बढ़ी हुई संख्या की संलिप्तता का पता चलता है, तो काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद किसी भी चरण में गलत काम में संलिप्त पाए जाने वाले प्रत्‍येक छात्र के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
 
न्यायालय ने कहा कि कोई भी छात्र, जिसके बारे में यह पता चलता है कि उसने धोखाधड़ी की है, इस निर्णय के आधार पर भविष्य में प्रवेश जारी रखने के लिए निहित अधिकार का दावा करने का हकदार नहीं होगा। न्यायालय ने केन्द्र के इस कथन पर गौर किया कि उसने निष्पक्ष परीक्षा सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा प्रणाली को मजबूत करने के उपाय सुझाने हेतु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्‍यीय विशेषज्ञ समिति गठित की है।
पीठ ने कहा, समिति इस न्यायालय द्वारा अपने अंतिम निर्णय और आदेश में जारी किए जाने वाले ऐसे अन्य निर्देशों का पालन करेगी, जो उन क्षेत्रों के संबंध में हों, जिनकी उसके द्वारा जांच की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि (1) नीट (यूजी) और एनटीए के अधिकार क्षेत्र में आने वाली अन्य परीक्षाओं के आयोजन की प्रक्रिया को उचित रूप से मजबूत किया जाए और (2) वर्तमान वर्ष के दौरान सामने आए मामलों की भविष्य में पुनरावृत्ति न हो।
 
परीक्षा की शुचिता पर संदेह तब पैदा हुआ जब कुल 67 छात्रों ने एनटीए के इतिहास में अभूतपूर्व 720 अंक प्राप्त किए, जिसमें हरियाणा के एक केंद्र से छह छात्र शामिल थे। एनटीए द्वारा एक जुलाई को संशोधित परिणामों की घोषणा के बाद शीर्ष रैंक साझा करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई। एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 2024 में 23 लाख से अधिक छात्रों ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) दी थी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

PM मोदी की रूस यात्रा के समय को लेकर क्‍यों निराश है अमेरिका