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Supreme Court का चुनावी बॉण्ड से प्राप्त धन को जब्त करने के खिलाफ फैसले पर पुनर्विचार से इंकार

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उच्चतम न्यायालय के 2 अगस्त, 2024 के फैसले के खिलाफ खेम सिंह भाटी द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025 (16:20 IST)
Supreme Court refuses : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने 2018 की चुनावी बॉण्ड (electoral bonds) योजना के तहत राजनीतिक दलों को मिले 16,518 करोड़ रुपए जब्त करने का निर्देश देने संबंधी याचिकाओं को खारिज करने के फैसले पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उच्चतम न्यायालय के 2 अगस्त, 2024 के फैसले के खिलाफ खेम सिंह भाटी द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।
 
उच्चतम न्यायालय ने तब इस योजना के तहत प्राप्त धन को जब्त करने के अनुरोध संबंधी याचिका को खारिज कर दिया था। पीठ ने 26 मार्च को कहा कि हस्ताक्षरित आदेश के अनुसार समीक्षा याचिका खारिज की जाती है। यदि कोई लंबित आवेदन है तो उसका निपटारा कर दिया जाएगा। हाल में उपलब्ध कराए गए उच्चतम न्यायालय के आदेश में मामले में खुली अदालत में सुनवाई के लिए भाटी के अनुरोध को भी स्वीकार करने से इंकार कर दिया गया।ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दिल्ली में नहीं होगी पटाखों की ब्रिकी
 
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार द्वारा शुरू की गई राजनीतिक वित्तपोषण की चुनावी बॉण्ड योजना को 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को रद्द कर दिया था। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद, योजना के अंतर्गत अधिकृत वित्तीय संस्थान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आंकड़ों को निर्वाचन आयोग के साथ साझा किया जिसने बाद में इसे सार्वजनिक कर दिया।
 
चुनावी बॉण्ड योजना जिसे सरकार द्वारा 2 जनवरी, 2018 को अधिसूचित किया गया था, को राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड योजना की अदालत की निगरानी में जांच के अनुरोध वाली कई याचिकाओं को पिछले वर्ष 2 अगस्त को खारिज करते हुए कहा था कि वह 'रोविंग इनक्वायरी' (मामले से असंबद्ध जांच) का आदेश नहीं दे सकता।ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बंगाल के स्कूलों में 25,753 नियुक्तियां अमान्य
 
समीक्षा याचिका में कहा गया था कि 15 फरवरी, 2024 को 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' (एडीआर) बनाम भारत संघ मामले में उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन करने के कारण इस योजना को असंवैधानिक ठहराया था।ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में 1.50 लाख अवमानना ​​मामले लंबित, सरकार ने संसद में दी जानकारी

याचिका में दलील दी गई कि कि चुनावी बॉण्ड योजना और विभिन्न वैधानिक प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित करने का प्रभाव यह है कि उक्त योजना कभी अस्तित्व में ही नहीं थी और यह शुरू से ही अमान्य है तथा कानून की यह स्थापित स्थिति है कि न्यायालय केवल कानून का अनुपालन करता है, कानून नहीं बनाता है। पुनर्विचार याचिका में दावा किया गया कि 2 अगस्त, 2024 के फैसले ने ''एडीआर के फैसले को अप्रत्यक्ष रूप से संशोधित कर दिया।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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