नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं और 12वीं की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले को लेकर दायर सभी पांच याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दीं।
न्यायमूर्ति एसए बोबड़े और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने सभी संबद्ध पक्ष की दलीलें सुनकर याचिकाएं खारिज कर दीं। पीठ ने कहा कि उसे ऐसा नहीं लगता कि प्रश्नपत्र लीक का मुद्दा इस न्यायालय के कार्यक्षेत्र के तहत आता है। न्यायमूर्ति बोबड़े ने कहा कि प्रश्नपत्र लीक होने से पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चिंता करना कार्यपालिका का काम है।
पेपर लीक मामले में याचिकाकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अलग-अलग तरह की मांग रखी थी। दीपक कंसल की ओर से दाखिल पहली याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि दोबारा परीक्षा कराए जाने की बजाय पुरानी परीक्षा के आधार पर ही परीक्षाफल घोषित की जाए और लीक की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जाए। दूसरी याचिका केरल के कोच्चि शहर के दसवीं के छात्र रोहन मैथ्यू ने दायर की थी। उसने भी पहले हो चुकी परीक्षा के आधार पर ही परीक्षाफल घोषित करने का निर्देश सीबीएसई को देने की मांग की थी।
पेशे से वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की ओर से दायर तीसरी याचिका में पेपर लीक कांड की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग की गई थी। अलख श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में कहा था कि 12वीं की परीक्षा देने वाले प्रत्येक छात्र को पेपर लीक के कारण होने वाली मानसिक परेशानी, तनाव और असुविधा के लिए एक लाख रुपए हर्जाना दिया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने छात्रों को किसी भी परेशानी से निजात दिलाने के लिए सारी परीक्षाएं फिर से कराए जाने का सीबीएसई को निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया था। दो अन्य याचिकाओं में भी अलग-अलग तरह की मांग की गई थी। (वार्ता)