डीएनडी फ्लाईवे टोल फ्री, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लाखों लोगों को होगा फायदा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024 (14:34 IST)
DND Flyway toll free:  उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाले दिल्ली-नोएडा-डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाईवे (DND Flyway) पर टोल वसूली के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2016 के आदेश को चुनौती देने वाली एक निजी कंपनी की याचिका को शुक्रवार को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि डीएनडी फ्लाईवे टोलमुक्त रहेगा।ALSO READ: Ed ने PMLA के तहत न्यायालयों में दर्ज की 911 शिकायतें, 42 मामलों में हुई दोषसिद्धि
 
निर्णय से लाखों लोगों को लाभ होगा : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में निजी कंपनी को डीएनडी फ्लाईवे पर यात्रियों से टोल वसूली बंद करने का आदेश दिया था। इस निर्णय से फ्लाईवे पर प्रतिदिन आवागमन करने वाले लाखों लोगों को लाभ होगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि डीएनडी फ्लाईवे से यात्रा करने वाले यात्रियों से टोल वसूलने के लिए निजी कंपनी नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (एनटीबीसीएल) को ठेका देना अन्यायपूर्ण, अनुचित और मनमाना है।ALSO READ: उच्च न्यायालयों में 62 हजार केस लंबित, 30 साल से ज्‍यादा पुराने हैं मामले
 
टोल शुल्क वसूली जारी रखने का कोई कारण : पीठ ने कहा कि (अब) उपभोक्ता या टोल शुल्क वसूली जारी रखने का कोई कारण नहीं है। हम मानते हैं कि (टोल संग्रह के लिए) समझौता अवैध है। उच्चतम न्यायालय ने निजी कंपनी एनटीबीसीएल को टोल संग्रह सौंपने के लिए नोएडा प्राधिकरण की खिंचाई की जबकि एनटीबीसीएल के पास पूर्व में टोल संग्रह का कोई अनुभव नहीं है।
 
न्यायालय ने कहा कि इससे अनुचित लाभ हुआ है। पीठ ने कहा कि नोएडा ने शुल्क एकत्र करने या लगाने का अधिकार एनटीबीसीएल को सौंपकर अपने अधिकार का अतिक्रमण किया है और इससे आम जनता को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
 
अक्टूबर 2016 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि 9.2 किलोमीटर लंबे, 8 लेन वाले डीएनडी फ्लाईवे का इस्तेमाल करने वालों से अब से कोई टोल नहीं वसूला जाएगा। यह आदेश उच्च न्यायालय ने फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया था।
 
वर्ष 2012 में दायर जनहित याचिका में नोएडा टोल ब्रिज कंपनी द्वारा उपभोक्ता शुल्क के नाम पर टोल संग्रह और वसूली को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने 100 से अधिक पन्नों के फैसले में कहा था कि जो उपभोक्ता शुल्क लगाया जा रहा है/वसूला जा रहा है, वह कानूनी प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि निजी कंपनी को जो अधिकार दिया गया है, वह उत्तरप्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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