नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने वकीलों को 'वरिष्ठ अधिवक्ता' का दर्जा दिए जाने के मामले में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में एक स्थाई समिति का गठन भी शामिल है।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने इसके लिए एक समिति के गठन का निर्देश दिया है, जिसके अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होंगे तथा इसमें शीर्ष अदालत अथवा उच्च न्यायालय के एक और वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल होंगे।
समिति में अधिवक्ताओं का भी एक प्रतिनिधि शामिल होगा, जबकि उच्चतम न्यायालय के मामले में एटर्नी जनरल और उच्च न्यायालयों के मामले में महाधिवक्ता भी समिति का हिस्सा होंगे। न्यायालय ने इसके लिए एक सचिवालय स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया है, जहां वैसे वकीलों की सभी जानकारियां उपलब्ध होंगी, जिन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा दिया जाना है।
किसी वकील को वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा देते वक्त उसके पेशे से जुड़े होने की अवधि, विभिन्न मामलों के फैसलों में उसकी सहभागिता और उसके स्वयंसेवी वकील के तौर पर उसके व्यक्तित्व को भी तरजीह दी जाएगी। (वार्ता)