नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार मोदी ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाया और उनके खिलाफ हुए 'जातीय नरसंहार' से जुड़े सभी मामलों की जांच के लिए केंद्र सरकार से उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किए जाने की मांग की।
उच्च सदन में शून्यकाल के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए मोदी ने कहा कि वर्ष 1989 से वर्ष 1998 के बीच 700 से ज्यादा कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई, उनकी संपत्तियों पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया गया और इसकी वजह से तीन लाख से ज्यादा पंडितों को कश्मीर छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा।
उन्होंने उस दौर में हुए विभिन्न हत्याकांड का उल्लेख करते हुए कहा, यह जातीय संहार था। यह नरसंहार था। यह विध्वंसक था। मोदी ने कहा कि इन मामलों में 200 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज हुई हैं, लेकिन एक भी प्राथिमिकी दोषसिद्धि में परिणीत नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि 32 साल हो गए, लेकिन अभी भी कश्मीरी पंडितों को न्याय नहीं मिला है। उन्होंने आसन से कहा, मैं आपके माध्यम से सरकार से मांग करता हूं कि तमाम प्राथमिकियों को मिलाकर उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच दल का गठन किया जाए।
यह जांच अदालत की निगरानी में हो, जिसमें सीबीआई, एनआईए का भी सहयोग लिया जाए। नए सिरे से प्राथमिकियां दर्ज की जाएं। मामलों को फिर से खोला जाए और फिर से उनकी जांच हो। लंबित आरोप पत्रों का त्वरित निराकरण किया जाए।
मोदी ने कहा कि 32 सालों के बाद कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार करने वाले जिन लोगों को सजा नहीं मिली है, उन्हें भी सजा दी जाए। उन्होंने कहा, बिट्टा कराटे और यासीन मलिक जैसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि कश्मीरी पंडितों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने की कोई और हिम्मत नहीं कर सके।(भाषा)