नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि इराक में वर्ष 2015 में आईएसआईएस द्वारा अपहृत सभी 39 भारतीय मारे गए। उन्होंने कहा कि पहाड़ को खोदकर शवों को निकाला गया।
सुषमा स्वराज ने कहा कि 39 भारतीयों की हत्या आईएसआईएस ने की है। उन्होंने कहा कि बंधक बनाए जाने की कहानी झूठी थी। उन्होंने यह भी कहा कि सभी की पहचान शवों और कड़े से हुई। 39 भारतीय की मौत पर उन्होंने दुख जताया और श्रद्धांजलि भी दी।
राज्यसभा में सुषमा स्वराज ने अपनी ओर से दिए गए एक बयान में बताया कि जून 2015 में इराक के मोसुल शहर में आतंकी संगठन आईएसआईएस ने कम से कम 40 भारतीयों का अपहरण किया था। इनमें से एक व्यक्ति खुद को बांग्लादेश से आया मुस्लिम बता कर बच निकला। शेष 39 भारतीयों को बदूश ले जा कर मार डाला गया। उन्होंने बताया कि अपहृत भारतीयों को बदूश शहर ले जाए जाने के बारे में जानकारी उस कंपनी से मिली जहां ये भारतीय काम करते थे।
सुषमा ने बताया कि विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने इराक में भारतीय राजदूत और इराक सरकार के एक अधिकारी के साथ बदूश शहर जा कर जब अपहृत भारतीयों की खोज शुरू की तब वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि आईएसआईएस आतंकियों ने कुछ शव दफनाए हैं।
विदेश मंत्री ने बताया कि 'डीप पेनिट्रेशन रडारों' की मदद से पता लगाया गया कि जिस गड्ढे में शवों को दफनाए जाने की बात कही जा रही है, उसमें सचमुच क्या है। रडारों से जांच करने पर पता चला कि गड्ढे में शव हैं।
सुषमा ने बताया कि भारतीय अधिकारियों ने अपने इराकी समकक्षों से शव खोद कर निकालने का अनुरोध किया। खुदाई करने पर पूरे 39 शव मिले। साथ ही कुछ पहचान पत्र, कड़ा, लंबे बाल और ऐसे जूते मिले जो इराकी नहीं थे। इन शवों को डीएनए जांच के लिए बगदाद भेजा गया।
विदेश मंत्री ने बताया कि बगदाद में मार्टायर्स फाउंडेशन से इन शवों की डीएनए जांच करने का अनुरोध किया गया। जांच में 38 भारतीयों का डीएनए मैच हो गया जबकि 39वें शव का डीएनए उसके करीबी रिश्तेदारों के डीएनए से 70 फीसदी मैच हो गया है।
उन्होंने बताया कि विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह इन शवों को वापस भारत लाने के लिए इराक जाएंगे।
गौरतलब है कि मामला 2015 का है जब आईएस ने ईराक पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से इन 39 भारतीयों की कोई खबर नहीं आई। हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कहना है कि वे सभी लोग ईराक में सही सलामत हैं, लेकिन इन 39 लोगों को इराक ले जाने वाले शख्स हरजीत मसीह का दावा है कि उन सभी को उसके सामने ही आतंकियों ने मार दिया था।
15 मार्च को एक बार फिर विदेश राज्य मंत्री एम.जे. अकबर ने 39 भारतीय कामगारों का पता लगाने के लिए हरसंभव प्रयास का आश्वासन दिया था।