इंदौर। पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के निधन की खबर के बारे में जानकर पाकिस्तान से भारत लाई गईं मूक-बधिर गीता भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि वे अनाथ हो गई हैं।
मूक-बधिर गीता ने इशारों में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। अक्टूबर 2015 को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों के कारण ही मूक-बधिर लड़की गीता की 1 दशक के बाद पाकिस्तान से स्वदेश वापसी हो सकी थी। गीता जब 10-11 साल की थीं तब गलती से सीमा पार गई थीं। कराची में ईधी फाउंडेशन गीता की देखभाल कर रहा था। 10 साल के बाद सुषमा स्वराज के प्रयासों से ही वे हिन्दुस्तान वापस लौट पाई थीं।
गीता के लिए मां थीं सुषमा : गीता की स्वदेश वापसी के अगले ही दिन उसे पढ़ाई और ट्रेनिंग के लिए इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलाई जा रही गैरसरकारी संस्था के आवासीय परिसर में भेज दिया गया था। गीता के परिवार को ढूंढने के लिए सुषमा ने काफी प्रयास भी किए थे।
विदेश मंत्री रहते हुए एक बार सुषमा स्वराज ने कहा था कि मैं जब भी गीता से मिलती हूं तो वे शिकायत करती हैं और कहती हैं कि मैडम किसी तरह मेरे माता-पिता को तलाशिए। उन्होंने कहा था कि मैं इस बेटी को बोझ नहीं बनने दूंगी। इसकी शादी, पढ़ाई की सारी जिम्मेदारी हम उठाएंगे। स्वराज ने केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को गीता की जिम्मेदारी सौंपी थी।