गाजियाबाद/नोएडा। उत्तर प्रदेश के जनपद गौतमबुद्ध नगर के नोएडा सेक्टर 25 में 2008 में हुए आरुषि-हेमराज हत्याकांड के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से गुरुवार को बरी होने के बाद भी तलवार दंपति को अभी कुछ दिन और जेल में रहना पड़ सकता है।
कानून के जानकारों की मानें तो अभी हाईकोर्ट के आदेश की प्रति गाजियाबाद स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में जमा होने के बाद रिहाई आदेश (परवाना) जारी होगा। इसके बाद ही तलवार दंपति जेल से बाहर आ सकेंगे।
हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि सीबीआई इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने पर विचार कर रही है। यदि तत्काल ऐसा हुआ और शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी तो तलवार दंपति की रिहाई अटक भी सकती है।
गौरतलब है कि 15-16 मई 2008 की रात सेक्टर-25 के एल-32 नंबर के फ्लैट में डॉ. राजेश तलवार और डॉ. नूपुर तलवार की 14 वर्षीय बेटी आरुषि तलवार की हत्या हो गई थी। 16 मई की सुबह आरुषि का शव बेडरूम में मिला था। घटना के बाद से घर में काम करने वाला हेमराज गायब था, जिस कारण आरुषि की हत्या का शक हेमराज पर जा रहा था।
पुलिस कयास लगा रही थी कि आरुषि की हत्या कर हेमराज फरार हो गया, लेकिन 17 मई की सुबह एल-32 मकान की छत से पुलिस को हेमराज की लाश मिल गई। इसके बाद मामला पूरी तरह से उलझ गया।
मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण राज्य पुलिस ने प्रकरण की जांच एसटीएफ के हवाले कर दी थी, लेकिन विरोध प्रदर्शन और तलवार दंपति की मांग को देखते हुए सरकार ने जून 2008 में आरुषि-हेमराज हत्याकांड की जांच सीबीआई के हवाले कर दी।
जांच के बाद सीबीआई ने अपनी फाइनल रिपोर्ट में कहा था कि आरुषि-हेमराज मर्डर केस में परिस्थितिजन्य साक्ष्य डॉ. राजेश और डॉ. नूपुर के खिलाफ है, लेकिन पुख्ता सबूत न होने के कारण उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
इस रिपोर्ट पर सीबीआई की विशेष अदालत ने जांच अधिकारियों को फटकार लगाई और जो भी साक्ष्य उपलब्ध हैं, उसे कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया। आखिर में, सीबीआई की विशेष अदालत ने तलवार दंपति को बेटी और नौकर हेमराज के कत्ल के आरोप में उम्रकैद की सजा सुना दी। (वार्ता)