अखनूर एनकाउंटर के आतंकियों के खिलाफ 11 साल में दूसरी बार टैंकों का इस्तेमाल

सुरेश एस डुग्गर
बुधवार, 30 अक्टूबर 2024 (12:57 IST)
powerful Heron drone : करीब 11 सालों के अरसे के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ होने वाली मुठभेड़ में सेना (army) अपने टैंकों और बख्तरबंद वाहनों का इस्तेमाल करने पर मजबूर हुई है। हालांकि पिछले साल ही उसने एक मुठभेड़ में मीडियम तोपखाने (medium artillery) के साथ ही इजराइल (Israel) से प्राप्त शक्तिशाली हरोन ड्रोन का इस्तेमाल आतंकियों को नेस्तनाबूद करने के लिए किया था।ALSO READ: J&K: जांबाज डॉग फैंटम आतंकी मुठभेड़ में शहीद, सेना ने आर्मी एंबुलेंस पर हमला करने वाले 3 आतंकियों को किया ढेर
 
सेना ने इसकी पुष्टि की : सेना ने इसकी पुष्टि की है कि उसने अखनूर सेक्टर के बटल में आतंकियों को मार गिराने के लिए अपने बख्तरबंद वाहन बीएमपी 2 अर्थात एपीसी का इस्तेमाल इसलिए किया था, क्योंकि भोगौलिक परिस्थितियों को देखते हुए सैनिकों को इस तरह की शील्ड की जरूरत पड़ गई थी। यही कारण का था कि सेना दावा करती है कि इनके इस्तेमाल के कारण ही इस मुठभेड़ में उसे किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं उठानी पड़ी है।ALSO READ: जम्मू में घुसपैठ करने की फिराक में 50 आतंकी, अखनूर एनकाउंटर पर मेजर जनरल का खुलासा
 
जानकारी के लिए जिन टैंकों अर्थात बीएमपी-2 का इस्तेमाल किया गया, वे एक बख्तरबंद वाहन हैं यानी इन पर गोलियों और आईईडी का कोई असर नहीं होता है। मेन वेपन के तौर पर इस वाहन पर 30 एमएम की आटो कैनन अटैच होती है। ये 1 मिनट के अंदर 800 राउंड फायरिंग कर सकती है। ऑटो कैनन के साथ ही बीएमपी-2 पर एक हैवी मशीनगन भी लगी होती है।
 
बीएमपी-2 की सबसे बड़ी पॉवर इसकी एंटी टैंक गन : लेकिन भारतीय सेना की बीएमपी-2 की सबसे बड़ी पॉवर इसकी एंटी टैंक गन है, जो नाग मिसाइल से लैस रहती है यानी युद्ध के मैदान में बीएमपी 2 किसी मेन बैटल टैंक को भी तबाह करने में सक्षम है। अधिकारियों ने बताया कि करीब 1 दर्जन बीएमपी टैकों को कल मुठभेड़ के दौरान मैदान में उतारा गया था, जो इलाके में पहले से ही तैनात थे।ALSO READ: सैनिकों ने अखनूर में LOC पर कड़ी सतर्कता के बीच मनाई दिवाली
 
वैसे यह कोई पहली बार नहीं था कि सेना को आतंकियों से मुठभेड़ में टैंकों का इस्तेमाल करना पड़ा हो बल्कि वर्ष 2013 में सितंबर महीने में ही सांबा के मेहसर इलाके में टैंक यूनिट पर आतंकी हमले के दौरान भी टैंकों का इस्तेमाल किया गया था। तब साम्बा के निकट महेसर सैन्य शिविर पर हुए इसी प्रकार के हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल बिक्रमजीत सिंह समेत सेना के 3 जवान शहीद हो गए थे। शिविर में हुए हमले में इकाई के एक अन्य कर्नल स्तर के एक कमान अधिकारी (सीओ) समेत 3 लोग घायल भी हुए थे। यहां 16 कैवेलरी की एक इकाई तैनात है। सांबा ब्रिगेड 9 कोर से ताल्लुक रखती है जिसका मुख्यालय हिमाचल प्रदेश है। यह सेना की पश्चिमी कमान का हिस्सा है।ALSO READ: Terrorist अखनूर के बटल में सेना की एम्बुलेंस पर हमला करने वाले तीनों आतंकी ढेर
 
और इसी तरह पिछले साल 15 सितंबर को अनंतनाग के कोकरनाग इलाके में 8 दिनों तक चली जंग का खास पहलू यह था कि ऊंची पहाड़ियों पर काबिज आतंकियों से निपटने को सेना को पहली बार मीडियम रेंज के तोपखाने के साथ ही सबसे अधिक शक्तिशाली हरोन मार्क 2 ड्रोन का भी इस्तेमाल आतंकियों पर बम बरसाने में करना पड़ा था।ALSO READ: चीन से लगी सीमा पर तोपखाना इकाइयों की युद्ध क्षमता बढ़ा रही थलसेना
 
यह कश्मीर की पहली ऐसी मुठभेड़ भी कही जा सकती थी जिसमें पहली बार इजराइल से प्राप्त हरोन मार्क 2 जैसे खतरनाक ड्रोन का इस्तेमाल आतंकियों के संभावित ठिकानों पर बमबारी करने में किया गया था जबकि आतंकी ऊंची पहाड़ी पर थे, जहां पहुंच मुश्किल थी और इसकी खातिर सेना ने छाताधारी सैनिकों को उतारने के साथ ही मीडियम रेंज के तोपखानों से भी गोले बरसाए गए थे।
 
Edited by: Ravindra Gupta

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

कांवड़ यात्रा को बदनाम करने की कोशिश, CM योगी ने उपद्रवियों को दी चेतावनी

समुद्र में आग का गोला बना जहाज, 300 से ज्यादा यात्री थे सवार, रोंगटे खड़े कर देगा VIDEO

महंगा पड़ा कोल्डप्ले कॉन्सर्ट में HR मैनेजर को गले लगाना, एस्ट्रोनॉमर के CEO का इस्तीफा

संसद के मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, बिहार में SIR पर विपक्ष ने उठाए सवाल

24 कंपनियों ने जुटाए 45,000 करोड़, IPO बाजार के लिए कैसे रहे 2025 के पहले 6 माह?

सभी देखें

नवीनतम

शाहजहांपुर जिला कारागार में बंदियों ने कावड़ यात्रा निकाली, भगवान शिव का किया जलाभिषेक

भारत के इन राज्यों में अल्पसंख्यक हैं हिंदू? जानिए देश के किस राज्य में सबसे कम है हिन्दू आबादी

बेटी इवांका पर अश्लील टिप्पणियां करते थे डोनाल्ड ट्रम्प, माइल्स टेलर की किताब से चौंकाने वाले खुलासे

सड़क दुर्घटना में हो गई थी बस चालक की मौत, एमएसीटी ने दिया 44 लाख का मुआवजा देने का आदेश

इंदौर- मालवा में क्‍यों रूठा मानसून, आखिर कब बरसेंगे राहत के बादल?

अगला लेख