श्रीनगर। जम्मू संभाग के चिनाब वैली क्षेत्र में आतंकवादियों के कदम फिर से तेजी से बढ़ने लगे हैं। हालांकि पुलिस का दावा है कि कुछेक आतंकी हमले की घटनाओं से यह कहना उचित नहीं है। पर मिलने वाली सूचनाएं कहती हैं कि आतंकी कई युवकों को अपने संगठनों में भर्ती करने की मुहिम में कामयाब हुए हैं।
अगर स्पष्ट शब्दों में कहें तो चिनाब घाटी में आतंकवाद दोबारा जिंदा हो चुका है। बेशक पुलिस इसे न माने, लेकिन पिछले डेढ़ साल में हुए 3 बड़े आतंकी हमले इस बात का प्रमाण हैं कि आतंकियों ने चिनाब घाटी के तीनों जिलों में अपने पांव पसार लिए हैं। इसके लिए आतंकियों ने नई भर्तियां की हैं।
जिस जिले में हमला किया जा रहा है, वहीं से आतंकी भी भर्ती किए जा रहे हैं। 8 मई 2017 को आतंकियों ने डोडा के गंदोह के पास टांटा पुलिस नाके पर तैनात पुलिसकर्मियों पर हमला किया। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी। इस हमले का मुख्य आरोपी एक पूर्व आतंकी निकला जिसने अपने भाई और अन्य के साथ मिलकर हमला किया। इस हमले में एक एसपीओ और एक टेरिटोरियल आर्मी के जवान का हाथ भी रहा।
दूसरा हमला रामबन में एसएसबी की पोस्ट पर हुआ। इस हमले को हिजबुल मुजाहिदीन ने अंजाम दिया। पुलिस ने हमला करने वाले 3 आतंकियों को दबोच लिया था। इसमें 1 आतंकी बीएससी का छात्र था, जो अनंतनाग कॉलेज में पढ़ता था। इन आतंकियों ने पिस्टल से हमला किया था। हथियार कश्मीर से एक ओवरग्राउंड वर्कर ने मुहैया करवाया था।
अब ताजा हमला किश्तवाड़ का है। यह हमला हिजबुल मुजाहिदीन की करतूत है। इसमें स्थानीय आतंकियों के होने का शक है। आतंकियों ने डेढ़ साल के भीतर डोडा, रामबन और किश्तवाड़ तीनों ही जिलों में अपनी दस्तक दी। 3 बड़े हमले कर यह बता दिया कि चिनाब वैली में आतंकवाद दोबारा जिंदा हो चुका है।
90 के दशक में जब आतंकवाद ने कश्मीर में दस्तक दी तो रामबन, किश्तवाड़ और डोडा में भी आतंकवाद ने पैर जमाए। ये तीनों जिले कश्मीर संभाग के साथ जुड़ते हैं। तीनों जिलों में आतंकवाद पीक पर रहा है।
पुलिस का दावा चाहे कुछ भी हो, पर खुफिया एजेंसियां चिनाब वैली का परिदृश्य कुछ और ही बयान करती हैं। हालांकि पुलिस इसे चिनाब वैली में होने वाला पहला आतंकी हमला बता रही है, पर वह पिछले साल 8 मई को गंदोह के पास हुए हमले को भुला देती है जिसमें 1 पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी।
उन्होंने कहा कि हमले के लिए दोषी लश्कर-ए-तैयबा के 5 आतंकियों को दबोचा गया था जबकि पिछले साल ही सितंबर महीने में रामबन में एसएसबी कैंप पर हुए आतंकी हमले को भी हल्के से लिया गया था जिसमें 1 पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी।
असल में चिनाब वैली में आतंकी हमलों के इनपुट को लेकर पुलिस पिछले कुछ अरसे से लापरवाह इसलिए मानी जाती रही है, क्योंकि उसकी सोच के मुताबिक आतंकियों के हमले के केंद्र टनल पार के इलाके हैं, पर अब 2 हमलों तथा कई युवकों के चिनाब वैली से लापता होने की खबरों के बाद सरकारी अमला कुछ हरकत की स्थिति में आया है।