नाम 'खुदा की पवित्र सेना' काम आतंक फैलाना

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। लश्करे तैयबा अर्थात खुदा की पवित्र सेना। काम आतंक फैलाना। जेहाद के नाम पर मासूमों का खून बहाना और अब उसका निशाना है हिन्दुस्तान। कश्मीर में तथाकथित जेहाद छेड़ने वाला लश्करे तैयबा अब भारत में कहर बनकर छा जाना चाहता है। कहर तो वैसे भी वह बरपा रहा है। कई मंदिरों, व्यस्त बाजारों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर हमलों को अंजाम देकर वह जिस कहर को बरपा चुका है लोग अब उससे त्राहि-त्राहि करने लगे हैं।
 
खुफिया अधिकारी अपना मुंह खोलते हैं तो वे भयानक तस्वीर पेश करते हैं। जो जानकारियां वे बताते हैं वह असल में उन आतंकवादियों या उनकी डायरियों ने पिछले कुछ दिनों के दौरान उगली थीं जो कश्मीर में पकड़े गए थे या फिर मारे गए थे और उनका संबंध लश्करे तैयबा से था।
 
जकी-उर-रहमान के नेतृत्व में तथाकथित जेहाद को आगे बढ़ाने वाली खुदा की पवित्र सेना ने बाकायदा अबू-अल कामा को भारत में अपनी गतिविधियों के लिए तैनात कर रखा है। फिलहाल यह तो स्पष्ट नहीं है कि कितनी संख्या में लश्कर तौयबा के सदस्य देश के विभिन्न भागों में सक्रिय हैं, लेकिन उनके 35 के करीब गुटों की जानकारी अभी तक मिल पाई है।
 
इनमें से कुछेक ही कश्मीर के रास्ते से भारत आए हैं बाकी नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते से आ रहे हैं। कई तो बाकायदा पासपोर्टधारी आतंकी हैं। एक सेनाधिकारी के बकौल, इस वर्ष अभी तक जो 250 के करीब आतंकी कश्मीर में एलओसी से इस ओर आने में कामयाब हुए थे उनमें कम से कम 100 का संबंध लश्कर तौयबा से था।
 
ये अधिकारी कहते हैं कि लश्कर के घुसपैठिए बाद में उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात तथा हैदराबाद जैसे उन प्रदेशों में चले गए हैं जहां से वे देशभर में आतंक फैलाने की गतिविधियां चला रहे हैं। वैसे उनका यह भी दावा था कि मारे गए कुछ लश्करे तैयबा के सदस्यों से बरामद दस्तावेज इसकी पुष्टि करते थे कि लश्कर और सिमी का गहरा नाता है।
 
पाकिस्तान में अपने मुख्यालय और जमायत-उल-दवा नामक पेरेंट आर्गेनाइजेशन के नेतृत्व में काम करने वाली खुदा की पवित्र सेना के लिए अमेरिका और इसराइल के अतिरिक्त अब भारत भी मुख्य निशानों में एक है। अपनी वेबसाइटों और दस्तावेजों में वह इसकी घोषणा करने में पीछे नहीं है। यह बात अलग है कि अमेरिकी दबाव के चलते जब पाकिस्तान को इस पर प्रतिबंध लागू करना पड़ा था तो उसने चोरी छुपे अपनी गतिविधियों को जारी रखा था और फिर वर्ष 2005 में आए सदी के भीषण भूकंप के बाद तो यह फिर से खुलकर सामने आ गया और भूकंप पीड़ितों को राहत पहुंचाने के कार्य में इतना खुल कर सामने आया था कि पाकिस्तानी सरकार भी अब खुल कर उसका समर्थन कर रही है।
 
कुछ दिन पहले ही अमेरिकी स्टेटस विभाग ने इसकी पुष्टि की थी कि इराक और अफगानिस्तान में लड़ने वाले अल-कायदा के कई आतंकवादियों को लश्कर के कैम्पों में ट्रेनिंग दी गई है और लश्कर अल-कायदा के बाद सबसे खतरनाक आतंकी गुटों की सूची में सबसे ऊपर है।
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