जाकिर मूसा के खिलाफ हुए आतंकवादी

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। दो दिन पहले कुछ नकाबपोश आतंकियों द्वारा अलकायदा आतंकी गुट के कश्मीर के यूनिट के नियुक्त मुखिया जाकिर मूसा के विरोध में जमकर भड़ास निकाली गई थी। यह भड़ास स्वाभाविक थी क्योंकि जाकिर मूसा की बढ़ती लोकप्रियता और उसकी कश्मीर के इस्लामीकरण की मुहिम को मिलने वाला जनसमर्थन अब अन्य आतंकी गुटों की आंख में चुभने लगा है। उन्हें भी अब मूसा की ताकत का अहसास इसलिए होने लगा है क्योंकि मूसा कश्मीर का ओसामा बिन लादेन बनना चाहता है।
 
यही कारण था कि कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकी संगठनों में बढ़ रही आपसी रंजिश के बीच हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने एक वीडियो जारी कर अपने कमांडरों की मौत के लिए जाकिर मूसा को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने मूसा को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का एजेंट करार दिया।
 
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में पांच आतंकी नजर आए थे सभी के चेहरों पर नकाब थे। इनमें से एक आतंकी ने कश्मीरियों से कहा था कि वह जाकिर मूसा से सावधान रहें। वह हिंदुस्तानी एजेंसियों का एजेंट है। उसने तीन-चार माह में हमारे बहुत से लोगों की मुखबिरी कर उन्हें मरवाया है। इसके बदले सुरक्षा एजेंसियों से लाखों रुपए लिए हैं।
 
इन कथित हिज्ब आतंकियों ने मूसा को कौम और कश्मीर का गद्दार बताते हुए उसे सबक सिखाने की बात की है। गौरतलब है कि मई में जब हिज्ब आतंकी सब्जार मारा गया था तो उस समय वायरल हुए वीडियो में तीन से चार आतंकियों ने दावा किया था कि वह जाकिर मूसा के साथी हैं और उन्होंने ही सब्जार को मरवाया है।
 
राज्य पुलिस की साइबर सेल के एक अधिकारी का कहना है कि हमने भी यह वीडियो देखा है। वीडियो की सच्चाई का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन एक बात तय है कि आतंकी संगठनों में एक-दूसरे के प्रति रंजिश बढ़ रही है, जो खूनी संघर्ष में भी बदल सकती है। पर सूत्र इस वीडियो के पीछे कोई और ही कहानी बताते हैं। वे कहते हैं कि मूसा कश्मीर का ओसामा बिन लादेन बनना चाहता है जो उन आतंकी गुटों को नागवार गुजरा है जो पिछले 29 सालों से कश्मीर में आजादी की जंग के नाम पर खून खराबा मचाए हुए हैं, जबकि जाकिर मूसा कश्मीरियों को कश्मीर के इस्लामीकरण की मुहिम के नाम पर बरगला रहा है।
 
यह अब एक हकीकत है कि जाकिर मूसा कश्मीर और उसके बाहर भी एक जाना-पहचाना नाम है। कभी बुरहान वानी के नेतृत्व में काम करने वाले जाकिर मूसा को 2016 में उसकी मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर भी बना दिया गया, लेकिन अपनी विचारधारा के चलते जाकिर मूसा हिजबुल से अलग हो गया।
 
जाकिर जम्मू कश्मीर से दो बार कैरम चैंपियनशिप का प्रतिनिधित्व कर चुका है। पढ़ाई-लिखाई में भी वह अच्छा था। अच्छे परिवार से था और 12वीं कक्षा में उर्दू में 100 में 68 अंक मिले तो अंग्रेज़ी में 100 में 76। साल 2010 में पत्थर फेंकने के जुर्म में पुलिस ने गिरफ्तार किया। हालांकि ज़ाकिर के पिता का कहना है कि वह निर्दोष था। उसके पिता बताते हैं कि पुलिस के सामने जाकिर लगातार कहता रहा कि उसने पत्थर नहीं फेंका, लेकिन पुलिस ने उसकी एक न सुनी। उसके पिता का कहना है कि पुलिस केस की वजह और ज्यादतियों के कारण उसने हथियार उठाया।
 
कश्मीर के अलगाववादी संगठन कश्मीर की आजादी की हिमायत करते हैं। वह इस लड़ाई को राजनीतिक मानते हैं। यहां तक कि हिजबुल मुजाहिदीन भी इस लड़ाई को राजनीतिक ही मानता है, लेकिन जाकिर मूसा इस लड़ाई को राजनीतिक न मानकर धार्मिक मानता है। वो गजवा-ए-हिन्द में विश्वास रखता है। इसी विरोध के चलते जाकिर मूसा ने अपने आप को हिजबुल मुजाहिदीन से भी अलग कर लिया। वह इस्लाम को कश्मीर से लेकर सारे भारत पर लागू करना चाहता है। उसका नारा है ‘शरियत या शहादत’। मायने कश्मीर में शरिया कानून लागू होने तक शहादत दी जाएगी।
 
उसके साथ कश्मीर में युवाओं का काफी समर्थन है। दरअसल कश्मीर का युवा कश्मीर की मौजूदा स्थिति से लगातार निराश है। वह इस मामले का कोई हल चाहता है। कश्मीर में हिज्ब और लश्कर से लेकर हुर्रियत तक लगातार एक लंबे समय से इस स्थिति को बनाकर रखे हुए हैं, जबकि जाकिर मूसा काफी सक्रिय है, इस वजह से वह युवाओं का हीरो बना हुआ है। कश्मीर में अलकायदा को लांच करने के बाद जाकिर ने अपनी वेशभूषा भी ओसामा जैसी कर ली है। बढ़ी हुई दाढ़ी और लंबा चोगा और हाथों में छड़ी। उसने अलकायदा की तारीफ में लगातार कई वीडियो भी जारी किए हैं।
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