प्रथमेश व्यास
समाजवादी पार्टी संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता का गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। साधना को पिछले हफ्ते ही शुगर की तकलीफ के चलते अस्पताल में दाखिल करवाया गया था, जहां शनिवार सुबह इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।
प्रतीक यादव की मां एवं अपर्णा यादव बिष्ट की सास साधना गुप्ता एक कार्यकर्ता के रूप में समाजवादी पार्टी से जुड़ी थीं। देखते ही देखते उनका नाम मुलायम सिंह यादव के करीबियों की सूची में शुमार हो गया, जिसके बाद 2003 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए। तो आइए विस्तार से जानते हैं तत्कालीन भारतीय राजनीति के सबसे चर्चित प्रेम विवाह की कहानी के बारे में...
अस्पताल में हुई थी पहली मुलाकात:
मुलायम की पहली पत्नी और अखिलेश यादव की मां मालती देवी का वर्ष 2003 में लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था। कहा जाता है कि जब मुलायम की साधना गुप्ता से मुलाकात हुई थी, तब उनका राजनीतिक करियर बुलंदियों पर था। 1982 में जब मुलायम लोकदल के अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे तब साधना सपा में एक कार्यकर्ता के रूप में काम करती थीं। मुलायम से उनकी पहली मुलाकात एक अस्पताल में हुई थी, जहां साधना नर्स थीं। कहा जाता है कि मुलायम को पहली मुलाकात में ही साधना पसंद आ गई थीं।
पूर्व सांसद अमर सिंह रहे गुप्त रिश्ते के गवाह:
साधना का फर्रुखाबाद के एक व्यापारी चंद्रप्रकाश गुप्ता की पत्नी थीं लेकिन दोनों बाद में अलग हो गए। इस घटना के बाद से मुलायम और साधना के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं। इस समय तक इस रिश्ते के बारे में सिर्फ समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुलायम के करीबी अमर सिंह को ही पता था।
80 का दशक पार हुआ ही था कि मुलायम सिंह और साधना के गुप्त प्रेम संबंध की भनक उनकी पहली पत्नी मालती देवी को लग गई। लेकिन, उस समय मालती देवी हृदय से संबंधित कई बीमारियों से जूझ रही थीं। अंततः 2003 में उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद से साधना गुप्ता मुलायम सिंह पर उन्हें अपनी आधिकारिक पत्नी के रूप में स्वीकार करने का दबाव डालने लगीं। लेकिन, राजनीतिक और पारिवारिक कारणों के चलते मुलायम सिंह ने इस बात से इंकार कर दिया।
अखिलेश को नहीं था रिश्ता मंजूर:
कुछ सालों बाद धीरे-धीरे प्रदेशभर में ये चर्चाएं होने लगीं कि मुलायम सिंह यादव की दो पत्नियां हैं। इसी दौरान अखिलेश को भी साधना के बारे में पता चल गया। रिश्ते के करीब 15 साल बाद भी मुलायम साधना के साथ अपने रिश्ते को आधिकारिक रूप से स्वीकारने की स्थिति में नहीं थे। इस संबंध के बारे में अभी तक केवल शिवपाल सिंह और अमर सिंह को ही जानकारी थी। बात पहुंची 2006 में, जब साधना गुप्ता ने अमर सिंह से आग्रह किया कि वे मुलायम सिंह को इस रिश्ते को स्वीकारने के लिए मनाएं।
अंततः 2007 में अमर सिंह ने पार्टी के सार्वजनिक मंच से मुलायम से आग्रह किया कि वे साधना गुप्ता को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारें। इस बार मुलायम मना नहीं कर पाए और उन्होंने साधना को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार लिया। लेकिन, अखिलेश ने कभी भी साधना गुप्ता को अपनी मां के रूप में नहीं स्वीकारा। वे हमेशा ही उनसे दूरी बनाए रखते थे।