चंडीगढ़/ नई दिल्ली। आधार कार्ड से संबंधित डेटा में सेंध से जुड़ी 'द ट्रिब्यून' की खबर पर यूआईडीएआई की ओर से मामला दर्ज किए जाने के बाद समाचार पत्र ने रविवार को कहा कि अधिकारियों ने ईमानदार पत्रकारिता करने वाले संस्थान को 'गलत' समझा। 'द ट्रिब्यून' के प्रधान संपादक हरीश खरे ने एक बयान जारी कर कहा कि अखबार जिम्मेदार पत्रकारिता के अनुसार खबरों का प्रकाशन करता है।
उन्होंने कहा कि हमें इस बात का खेद है कि अधिकारियों ने ईमानदार पत्रकारिता करने वाले संगठन को गलत तरीके से लिया और पर्दाफाश करने वालों के खिलाफ ही आपराधिक कार्रवाई शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि 'द ट्रिब्यून' 'गंभीर खोजी पत्रकारिता की अपनी आजादी को बरकरार रखने के लिए' सभी तरह के कानूनी विकल्पों को तलाशेगा।
हालांकि 'द ट्रिब्यून' समाचार पत्र की पत्रकार रचना खैरा ने रविवार को कहा कि वे उस घटनाक्रम के बारे में खुश हैं कि उन्होंने एफआईआर 'अर्जित' की है। 1 अरब आधार कार्डों को लेकर जानकारियां दिए जाने संबंधी एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के सिलसिले में दर्ज एक एफआईआर में रचना का नाम है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के उपनिदेशक बीएम पटनायक ने 'द ट्रिब्यून' अखबार में छपी खबर के बारे में पुलिस को सूचित किया और बताया कि अखबार ने अज्ञात विक्रेताओं से व्हाट्सएप पर एक सेवा खरीदी थी जिससे 1 अरब से अधिक लोगों की जानकारियां मिल जाती थीं। 5 जनवरी को पटनायक ने शिकायत की थी जिसके बाद उसी दिन प्राथमिकी दर्ज कर ली गई थी।
रचना खैरा ने एक टेलीविजन समाचार चैनल से कहा कि मेरा सोचना है कि मैंने यह एफआईआर कमाई है। मैं खुश हूं कि कम से कम यूआईडीएआई ने मेरी रिपोर्ट पर कुछ कार्रवाई की और मुझे वास्तव में उम्मीद है कि एफआईआर के साथ ही भारत सरकार यह देखेगी कि ये सभी जानकारियां कैसे ली जा रही थीं और सरकार उचित कार्रवाई करेगी।
हरीश खरे ने कहा कि मेरे सहकर्मी और मैं खुद मीडिया संगठनों और पत्रकारों की ओर से दिखाई जा रही एकजुटता को लेकर उनके आभारी हैं। 'द ट्रिब्यून' की ओर से हम इस बात पर विश्वास करते हैं कि हम नियमबद्ध तरीके से पत्रकारिता करते हैं।
इसी बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने यूआईडीएआई द्वारा दर्ज कराई गई एक प्राथमिकी वापस लेने के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है। साथ ही इसने इस विषय की एक निष्पक्ष जांच की मांग की है। गिल्ड ने कहा कि संवाददाता को दंडित करने की बजाय यूआईडीएआई को कथित उल्लंघन की एक गहन आंतरिक जांच का आदेश देना चाहिए और इसके नतीजे सार्वजनिक करने चाहिए। चंडीगढ़ प्रेस क्लब (सीपीसी) ने आधार डेटा में सेंध को लेकर 'द ट्रिब्यून' की पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज कराए जाने की यूआईडीएआई की कार्रवाई की निंदा की है।
सीपीसी के महासचिव बरिंदर सिंह रावत ने एक बयान जारी कर कहा कि डेटा को लीक करने में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बजाय सरकार की एजेंसी ने व्यवस्था में खामी का पर्दाफाश करने वाली पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज करना उचित समझा। उन्होंने कहा कि सीपीसी सोमवार को क्लब परिसर में प्रदर्शन करेगा। (भाषा)