जम्मू। यह पूरी तरह से चौंकाने वाली खबर है कि 3 साल पहले अस्तित्व में आए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के 2 जिलों (लेह और करगिल) में कानून अलग-अलग हैं। यह कानून कारगिल के व्यावसायिक वाहनों के लिए है जिन्हें अपने जिले के बाहर वाहन चलाने की अनुमति नहीं है।
लद्दाख यूटी प्रशासन के इस आदेश और भेदभाव के खिलाफ पिछले चार दिनों से कारगिल में हड़ताल भी चल रही है। इस हड़ताल को करगिल के सभी स्थानीय राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक संगठनों के अतिरिक्त मोटर वाहन संगठनों की ओर से समर्थन दिया गया है। हालांकि करगिल के लोगों के साथ केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले भी भेदभाव होता रहा था।
स्थानीय राजनीतिज्ञ सज्जाद कारगिली इसकी पुष्टि करते हुए बताते हैं कि 5 अगस्त 2019 के पहले तक करगिल के व्यावसायिक वाहनों को नेशनल, स्टेट और जिला स्तर के परमिट लेने पड़ते थे और अब उन्हें जो परमिट जारी किए जा रहे हैं उनके बावजूद वे लेह जिले समेत अन्य कस्बों में अपने वाहन नहीं ले जा सकते हैं। यूटी प्रशासन भी इसकी अनुमति नहीं दे रहा है।
वैसे यह मामला कोई नया नहीं है। कई सालों से यह नियम लेह के बौद्धों द्वारा उस समय लागू किया गया था, जब एक मामले को आधार बनाकर करगिल के टैक्सीवालों समेत अन्य व्यावसायिक वाहनों का लेह में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था।
साफ शब्दों में बताएं तो लेह जिले समेत अन्य कस्बों में करगिल के टैक्सी वाले प्रवेश नहीं कर सकते। यही नहीं कई बार लेह में देश के अन्य हिस्सों से आने वाले कमर्शियल वाहनों को भी प्रवेश नहीं दिया जाता और लोगों को स्थानीय टैक्सियों का ही सहारा लेने पर मजबूर किया जाता है, जिन पर अक्सर टूरिस्टों द्वारा भारी-भरकम किराया वसूल किए जाने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। पिछले चार दिनों से करगिल के लोग इस संवैधानिक अधिकार को पाने की खातिर हड़ताल पर हैं, जिसे आगे भी बढ़ाए जाने की धमकी दी जा रही है।