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जगदीप धनखड़ को लेकर राज्यसभा में जोरदार हंगामा, कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024 (17:26 IST)
Jagdeep Dhankhar News : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने संबंधी प्रस्ताव के मुद्दे पर शुक्रवार को राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का जोरदार दौर चला, जिसके कारण हुए भारी हंगामे के बाद उच्च सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। कार्यवाही स्थगित होने से पहले धनखड़ ने विपक्ष पर उनके खिलाफ दिन-रात अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह एक किसान के बेटे हैं और कभी ‘कमजोर’ नहीं पड़ेंगे। उन्होंने कहा, दिनभर सभापति के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, यह अभियान मेरे खिलाफ नहीं है, यह उस वर्ग के खिलाफ अभियान है, जिससे मैं जुड़ा हूं।
 
उन्होंने कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से इस कारण से दुखी हूं कि मुख्य विपक्षी दल ने इसे सभापति के खिलाफ अभियान के रूप में पेश किया है। उन्हें मेरे खिलाफ प्रस्ताव लाने का अधिकार है। यह उनका संवैधानिक अधिकार है लेकिन वे संवैधानिक प्रावधानों से भटक रहे हैं।
सभापति ने पूर्वाह्न 11.50 बजे कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित करने से पहले सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और सदन के नेता जेपी नड्डा से अपील की कि वे गतिरोध दूर करने का रास्ता निकालने के लिए उनके कक्ष में आएं। सभापति ने बार-बार विपक्ष के नेता से अपील करते हुए, कहा, मैं विपक्ष के नेता और सदन के नेता से अपील करता हूं कि वे दोपहर में मेरे कक्ष में मिलने का समय निकालें।
 
मैं इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए पूरी कोशिश करूंगा। सदन में जो कार्यवाही हो रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। हम किसी भी तरह से अच्छी ख्याति नहीं कमा रहे हैं। धनखड़ ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अपने कक्ष में खुले दिमाग से संवाद के लिए आमंत्रित किया।
 
उन्होंने कहा, आइए हम एक साथ काम करेंगे, गतिरोध को तोड़ने की कोशिश करेंगे। हम उन उच्चतम मानकों को पूरा करने की कोशिश करेंगे जिनकी पूरे देश से इस सम्मानित सदन द्वारा अपेक्षा की जाती है। मैं आपसे अपील करता हूं, खरगे जी, कृपया समय निकालें, मेरी प्रार्थना को स्वीकार करें, आज मेरे कक्ष में मिलें और यही अनुरोध मैं सदन के नेता से भी कर रहा हूं।
इस पर नाराज खरगे ने जवाब दिया, मैं आपका सम्मान कैसे कर सकता हूं। आप मेरा और मेरी पार्टी का अपमान कर रहे हैं। खरगे अभी बोल ही रहे थे कि सभापति ने कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी के राधामोहन दास ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए सभापति धनखड़ को पद से हटाए जाने के प्रस्ताव संबंधी विपक्षी दलों के नोटिस का उल्लेख किया और कहा कि वह 20 साल उत्तर प्रदेश में विधायक रहे हैं लेकिन जो स्थिति आज वह राज्यसभा में देख रहे हैं, वैसी स्थिति विधानसभा में भी कभी नहीं रही।
 
अग्रवाल जब अपनी बात रख रहे थे तब विपक्षी सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सभापति को हटाने के लिए नोटिस देने का अधिकार है लेकिन उसकी एक प्रक्रिया है। उन्होंने कांग्रेस पर उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का हमेशा अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के अपमान का कोई मौका नहीं छोड़ा।
उन्होंने कहा कि प्रसाद को राष्ट्रीय राजधानी में रहने नहीं दिया गया था और बीमार होने पर उन्हें चिकित्सा सुविधाओं से भी वंचित किया गया था। उन्होंने कहा, नेहरू ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन (तत्कालीन राष्ट्रपति) से पटना में प्रसाद के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने को कहा था। लेकिन सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री की बात नहीं मानी और वह प्रसाद के अंतिम संस्कार के लिए चले गए।
 
उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए नियमानुसार 14 दिनों तक इंतजार करना चाहिए था और फिर इस विषय पर बोलना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय वह मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से धनखड़ के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का संविधान में कोई विश्वास नहीं है।
 
अग्रवाल ने कहा, उन्होंने (खरगे) 10 आरोप (धनखड़ के खिलाफ) लगाए हैं, 10 जनपथ की चाटुकारिता में 10 आरोप। उन्होंने मांग की कि अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले 60 विपक्षी सदस्यों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के उनके प्रस्ताव पर विचार किया जाए और सभापति को उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करनी चाहिए।
 
अग्रवाल के बाद सभापति ने भाजपा के सुरेंद्र सिंह नागर, नीरज शेखर और किरण चौधरी के नाम पुकारे। तीनों ने सभापति के किसान और अन्य पिछड़ा वर्ग से होने की पृष्ठभूमि का उल्लेख किया और कांग्रेस पर इन समुदायों का विरोधी होने का आरोप लगाया। इन सदस्यों ने खरगे पर भी निशाना साधा।
धनखड़ ने इसके बाद प्रमोद तिवारी (कांग्रेस) को बोलने की अनुमति दी। तिवारी ने कहा कि अगर सभापति किसान का बेटा है तो विपक्ष के नेता खरगे खेतिहर मजदूर और दलित के बेटे हैं जिन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है। जैसे ही उन्होंने अमेरिका में रिश्वत के आरोपों का सामना कर रहे एक अरबपति को बचाने की कोशिश करने का सत्तारूढ़ पक्ष पर आरोप लगाया तो धनखड़ ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया कि कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं जाएगा।
 
हंगामे के कारण उनकी पूरी बात नहीं सुनी जा सकी। हंगामे के बीच ही सभापति ने खरगे को बोलने का अवसर दिया। खरगे ने सभापति पर आरोप लगाया कि वह सत्ता पक्ष के लोगों को बोलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हर आदमी उठ-उठ कर 5 से 10 मिनट बोल रहा है, आप किसान के बेटे हैं तो मैं खेतिहर मजदूर का बेटा हूं।
 
खरगे ने आसन से कहा कि वह हंगामा कर रहे सत्ता पक्ष के सदस्यों को बिठाए तो अपनी बात विस्तार से रखेंगे। उन्होंने कहा, हम यहां आपकी प्रशंसा सुनने नहीं आए हैं। खरगे ने आसन पर कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं को अपमानित करने का भी आरोप लगाया। इसके बाद सभापति धनखड़ ने हंगामा कर रहे सदस्यों से व्यवस्था बनाए रखने की अपील की।
इसका जब कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने 11 बजकर 50 मिनट पर सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। इससे पहले धनखड़ ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत चार नोटिस मिले हैं जिनमें मुद्दे पर चर्चा के लिए आज के कामकाज को टालने का अनुरोध किया गया है।
 
सुबह सदन की बैठक आरंभ होने पर सदन ने साल 2001 में संसद पर हुए हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बनने पर भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश को बधाई दी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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