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सत्‍यपाल मलिक बोले, लाल किले पर ‘निशान साहिब’ फहराने में कुछ गलत नहीं था, अब सत्‍ता बदलने के लिए काम करुंगा

हमें फॉलो करें सत्‍यपाल मलिक बोले, लाल किले पर ‘निशान साहिब’ फहराने में कुछ गलत नहीं था, अब सत्‍ता बदलने के लिए काम करुंगा
, सोमवार, 7 मार्च 2022 (14:15 IST)
मेघालय के राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक आए दिन सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। एक बार फिर से उन्‍होंने किसान आंदोलन को लेकर सरकार पर अटैक किया और किसानों का पक्ष लिया है।

पिछले साल प्रदर्शनकारियों की तरफ से लाल क़िले पर ‘निशान साहिब’ फहराये जाने को मलिक ने सही ठहराया है। उन्‍होंने कहा, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।  

इतना ही नहीं, उन्‍होंने केंद्र सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि किसान सत्ता बदलने और किसानों की सरकार बनाने के लिए एकजुट हों।

उन्होंने कहा कि वह राज्यपाल के पद पर उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद खुद देशभर का दौरा कर, किसानों को एकजुट करेंगे।

मलिक का कहना था कि (सरकार ने) किसानों से आधा-अधूरा समझौता कर उन्हें (धरने से) उठा दिया गया, लेकिन मामला जस का तस है।

राज्यपाल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के एक दोस्त पानीपत में 50 एकड़ क्षेत्र में गोदाम बनाकर सस्ते भाव में गेहूं खरीदने का सपना पाले हुए हैं।

मलिक गांव कंडेला में कंडेला खाप एवं माजरा खाप द्वारा आयोजित किसान सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे। मलिक ने यह भी बताया कि उनके कुछ मित्रों ने सलाह दी थी कि वह उपराष्ट्रपति या राष्ट्रपति बन सकते हैं इसलिए उन्हें चुप रहना चाहिए। लेकिन, मलिक ने उन्‍हें जवाब दिया कि मैं इन पदों की परवाह नहीं करता। उन्होंने यह भी कहा कि उनके लिए राज्यपाल का पद महत्वपूर्ण नहीं है।

मलिक ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि कहा कि प्रधानमंत्री का आवास (किसानों के धरना स्थल से) मात्र दस किलोमीटर दूर था, और एक साल से अधिक समय तक चले उनके आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में किसानों की जान गई। मलिक ने कहा ‘लेकिन सरकार की तरफ से कोई संवेदना प्रकट करने नहीं आया’

उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी उसूलों से समझौता नहीं किया और अपने पद की परवाह किए बगैर किसानों की आवाज को उठाया।

पिछले साल 26 जनवरी को कथित आंदोलनकारियों द्वारा दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर निशान साहिब का झंडा फहराए जाने को सही ठहराते हुए मलिक ने कहा कि वह फैसला गलत नहीं था। उन्होंने कहा कि जिस निशान साहिब को फहराया गया, वह उनका (किसानों का) हक था।

मलिक ने अनुच्छेद 370 के बारे में कहा कि जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने का निर्णय लिया तो राजनीतिक बवाल मच गया था।

उन्होंने कहा कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने खून की नदियां बहने की बात कही, तो वहीं नेश्नल कॉन्फ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला ने कहा था कि देश का झंडा कोई नहीं उठाएगा।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करके जिन नेताओं को जेल में डाला गया, प्रधानमंत्री ने उन्हें रिहा करवाकर चाय पिलाई।

उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव के बारे में मलिक ने कहा कि अभी नतीजे तो नहीं आए हैं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसी भी मंत्री को नहीं घुसने दिया गया। उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी को उन्होंने दौड़ते हुए देखा है।

खापों द्वारा आयोजित इस समारोह के दौरान ‘‘किसान सम्मान रत्न’’ से सम्मानित किए जाने के बाद मलिक ने इसे उन किसानों के परिजन को समर्पित दिया जिनकी किसान आंदोलन के दौरान जान गई।

मलिक ने खापों के प्रति समर्थन जताते हुए लड़कियों की पढ़ाई, सामूहिक भोज पर रोक लगाने और दहेज प्रथा को बंद करने की अपील की।

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