चेन्नई। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के लिए वर्ष 1991 में किए गए आत्मघाती बम हमले में जान गंवाने वाले और घायल होने वाले लोगों के लिए न्याय कहां है? यह सवाल एक सेवानिवृत्त महिला पुलिस अधिकारी अनुसुइया डायसी अर्नेस्ट ने किया।
अर्नेस्ट तब पुलिस उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत थीं। अर्नेस्ट श्रीपेरुंबुदुर में 21 मई, 1991 को आयोजित कांग्रेस की सार्वजनिक सभा में उमड़े उन लोगों को नियंत्रित करने का काम कर रही थीं, जो राजीव गांधी को माला पहनाना चाहते थे।
राजीव मामले में छह लोगों को रिहा करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैं अब भी गोली से लगने से बने घाव का इलाज करा रही हूं। यह घायल लोगों की व्यथा है। न्याय कहां है? मैं उन लोगों के लिए न्याय के बारे में बात कर रही हूं जिनकी जान चली गई या फिर मेरी तरह घायल हो गए।
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों से आतंकवाद निरोधक कानून के अनुरूप सलूक करना चाहिए, न कि किसी साधारण अपराधी की तरह। अर्नेस्ट वर्ष 2018 में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुईं और अभी उनकी उम्र 62 साल है।
इस हमले में कुल 16 लोगों की जान गई थी जिनमें राजीव गांधी, नौ पुलिसकर्मी और छह अन्य लोग शामिल हैं।
महिला आत्मघाती बम हमलावर धनु और एलटीटीई समर्थक हरिबाबू (फोटोग्राफर) की हमले में मौत हो गई थी। इस हमले में कुल 45 लोग घायल हुए थे।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour