ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना के राफेल विमान नष्ट होने का राज खुला, दसॉ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने बताया सच

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 9 जुलाई 2025 (13:26 IST)
Truth about fighter plane Rafale: हाल ही में भारतीय वायुसेना के एक राफेल लड़ाकू विमान के नष्ट होने की खबर ने सुर्खियां बटोरी थीं, जिसके साथ ही पाकिस्तान द्वारा भारतीय राफेल विमानों को मार गिराने के दावों ने भी जोर पकड़ा। हालांकि, राफेल की निर्माता कंपनी दसॉ एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया, जिससे इस मामले में कई महत्वपूर्ण सवाल और तथ्य सामने आए हैं। 
 
फ्रांसीसी वेबसाइट एवियन डी चेसे की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना का एक राफेल विमान एक प्रशिक्षण मिशन के दौरान नष्ट हो गया। यह घटना 12,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर हुई और इसमें किसी भी प्रकार का दुश्मन या शत्रुतापूर्ण रडार संपर्क शामिल नहीं था। दसॉ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने स्पष्ट किया कि यह नुकसान तकनीकी खराबी के कारण हुआ न कि किसी युद्ध या हमले के परिणामस्वरूप। इस घटना की जांच अभी जारी है और इसके कारणों का पता लगाने के लिए भारतीय वायुसेना और दसॉ एविएशन मिलकर काम कर रहे हैं।
 
ट्रैपियर ने 15 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के उन दावों को 'गलत और बेबुनियाद' बताया, जिसमें उसने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान तीन भारतीय राफेल विमानों को मार गिराने का दावा किया था। उन्होंने राफेल के 'स्पेक्ट्रा' इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और फ्लाइट लॉग का हवाला देते हुए कहा कि इन उपकरणों ने किसी भी दुश्मन गतिविधि को दर्ज नहीं किया।
 
तकनीकी पहलू : राफेल की विशेषताएं और तकनीकी खराबी : राफेल एक अत्याधुनिक मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है, जिसे फ्रांस की दसॉ एविएशन ने विकसित किया है। यह विमान अपनी उन्नत तकनीकों, जैसे 'स्पेक्ट्रा' इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, थेल्स RBE2 AESA रडार और मेटियोर मिसाइलों के लिए जाना जाता है। ये विशेषताएं इसे हवा में बेहद प्रभावी और सुरक्षित बनाती हैं। ट्रैपियर ने बताया कि राफेल के फ्लाइट लॉग और पहचान उपकरणों ने किसी भी शत्रुतापूर्ण गतिविधि को दर्ज नहीं किया, जो इस बात की पुष्टि करता है कि विमान का नुकसान तकनीकी खराबी के कारण हुआ।
 
तकनीकी खराबी के कारणों की जांच अभी चल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खराबी इंजन, सेंसर, या सॉफ्टवेयर से संबंधित हो सकती है। राफेल जैसे जटिल विमानों में तकनीकी खराबी असामान्य नहीं है, लेकिन इस तरह की घटनाएं दुर्लभ होती हैं। भारतीय वायुसेना और दसॉ एविएशन इस मामले में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए संयुक्त जांच कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
 
सैन्य पहलू : 'ऑपरेशन सिंदूर' और पाकिस्तान के दावे 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारतीय वायुसेना के तीन राफेल विमानों को मार गिराया। हालांकि, ट्रैपियर ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि राफेल की तकनीकी क्षमताएं ऐसी हैं कि इसे मार गिराना बेहद मुश्किल है। राफेल का 'स्पेक्ट्रा' सिस्टम दुश्मन के रडार और मिसाइलों को चकमा देने में सक्षम है और इसकी स्टील्थ विशेषताएं इसे युद्धक्षेत्र में लगभग अजेय बनाती हैं।
 
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने भी सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग के दौरान 6 विमानों को मार गिराने के पाकिस्तान के दावे को 'पूरी तरह से गलत' बताया। उन्होंने स्वीकार किया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' में कुछ नुकसान हुआ था, लेकिन इसका विवरण देने से इनकार कर दिया। यह संकेत देता है कि भारतीय वायुसेना इस मामले को गोपनीय रखना चाहती है, ताकि सैन्य रणनीतियों पर कोई असर न पड़े।
 
राजनयिक और भू-राजनीतिक पहलू : चीन का दुष्प्रचार अभियान : फ्रांसीसी खुफिया और सैन्य अधिकारियों के अनुसार, राफेल के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान के पीछे चीन का हाथ हो सकता है। एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि मई में भारत-पाकिस्तान तनाव के बाद चीन ने अपने दूतावासों को राफेल  की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने के लिए सक्रिय किया था। इसका उद्देश्य राफेल की वैश्विक बिक्री को प्रभावित करना और भारत की सैन्य ताकत को कमजोर दिखाना था। चीन का यह कदम भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा माना जा रहा है। राफेल विमान भारत की वायु शक्ति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और यह चीन के लिए एक चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने पाकिस्तान के दावों को बढ़ावा देकर भारत की सैन्य छवि को Rumors and misinformation को कमजोर करने की कोशिश की। यह दुष्प्रचार अभियान भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों को भी प्रभावित करने का प्रयास हो सकता है।
 
भारत सरकार और वायुसेना की चुप्पी : भारत सरकार और भारतीय वायुसेना ने इस घटना पर आधिकारिक रूप से कोई बयान जारी नहीं किया है। यह चुप्पी रणनीतिक हो सकती है, क्योंकि इस तरह की घटनाओं का खुलासा सैन्य मनोबल और राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर डाल सकता है। हालांकि, जनरल अनिल चौहान के बयान से यह स्पष्ट है कि भारत पाकिस्तान के दावों को गंभीरता से नहीं ले रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस मामले में पारदर्शिता और गोपनीयता के बीच संतुलन बनाए रखना चाहता है।
 
राफेल की विश्वसनीयता और भविष्य : राफेल विमान की विश्वसनीयता पर इस घटना का कोई दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। दसॉ एविएशन और भारतीय वायुसेना दोनों ने इस विमान की तकनीकी क्षमताओं पर भरोसा जताया है। तकनीकी खराबी की जांच के बाद इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए उपाय किए जाएंगे। राफेल भारत की रक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसकी भूमिका भविष्य में और भी महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है।
 
भारतीय वायुसेना के राफेल विमान के नष्ट होने की घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं, लेकिन दसॉ एविएशन के सीईओ के बयान ने पाकिस्तान के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। यह घटना तकनीकी खराबी के कारण हुई और इसमें किसी दुश्मन की भूमिका नहीं थी। चीन द्वारा संचालित दुष्प्रचार अभियान ने इस मामले को और जटिल बना दिया, लेकिन भारत और फ्रांस की साझेदारी इस तरह की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है। इस घटना से सबक लेते हुए, भारतीय वायुसेना और दसॉ एविएशन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाएंगे।
 
यह मामला न केवल सैन्य और तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भू-राजनीतिक और राजनयिक स्तर पर भी भारत के लिए एक सबक है। लेकिन उन्नत हथियारों के लिए भारत को अब और अधिक विश्वसनीय साझेदारी और आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की आवश्यकता इस घटना से और स्पष्ट हो गई है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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