नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को एक ऐसी सुरंग मिली है, जिसका इस्तेमाल महान क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे पर पहुंचाने के लिए किया जाता था। आजादी की लड़ाई में जिनके खून से धरा लाल हुई थी। सुरंग की लंबाई लगभग 7 किलोमीटर मानी जा रही है, जो यहां से लालकिले तक जाती है।
दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष राम निवास गोयल के अनुसार, सुरंग को संरक्षित कराया जाएगा। इसे ठीक कराया जाएगा। योजना है कि इसे और फांसी घर को 26 जनवरी और 15 अगस्त को जनता के लिए खोला जाएगा। अभी फिलहाल 23 मार्च बलिदान दिवस पर इसे विशेष व्यक्तियों और मीडिया के लिए खोला जाएगा। इसी दिन विधानसभा परिषद में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की प्रतिमा लगाई जाएंगी।
सुरंग की चौड़ाई और ऊंचाई इतनी है कि कई लोग एक साथ सीधे खड़े होकर आवागमन कर सकते हैं। सुरंग के अंतिम छोर पर एक गेट मिला है। गेट से पहले एक स्थल मिला है, जहां कई लोग एक साथ ठहर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि विधानसभा की इमारत के बारे में प्रमाण मिलते हैं कि दिल्ली के देश की राजधानी बनने के बाद 1911 से इस इमारत को अंग्रेजों ने अपने संसद भवन के रूप में उपयोग किया। यह इमारत 1926 तक अंग्रेजों की संसद रही।
दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष गोयल के अनुसार, सुरंग विधानसभा को लालकिले से जोड़ती है। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता सेनानियों को स्थानांतरित करते समय अंग्रेजों द्वारा प्रतिशोध से बचने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था।
उन्होंने कहा, जब मैं 1993 में विधायक बना तो यहां मौजूद एक सुरंग के बारे में अफवाह उड़ी, जो लालकिले तक जाती है और मैंने इसके इतिहास को खोजने की कोशिश की, लेकिन इसे लेकर किसी तरह की स्पष्टता नहीं थी। अब हमें सुरंग का छोर मिल गया है, लेकिन हम इसे आगे नहीं खोद रहे हैं।